सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल को राहत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान चरण में उसकी गिरफ्तारी की वैधता पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है. मामले में भुजबल को 2018 में जमानत मिली थी और केन्द्रीय जांच एजेंसी ने धन शोधन मामले (Money Laundering Case) में दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की थी.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने हालांकि भुजबल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि भुजबल को 2018 में जमानत दी गई थी, और इस समय गिरफ्तारी की वैधता पर चर्चा करना आवश्यक नहीं है.
कोर्ट ने कहा,
"जिन आदेशों के खिलाफ याचिका दायर की गई है, वे 2018 में पारित किए गए थे. इसलिए इस समय हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं है."
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की याचिका को खारिज किया है.
छगन भुजबल, जो महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री हैं, को ईडी की जांच के बाद गिरफ्तार किया गया था. जांच में यह पाया गया कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया और सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाया. ईडी के अनुसार, भुजबल ने निर्माण और विकास कार्यों से संबंधित ठेके एक विशेष फर्म को दिए, जिसके बदले में उन्हें और उनके परिवार को कमीशन मिला. ईडी ने आरोप लगाया कि भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल ने इस धन को अपने स्वामित्व वाली अवैध रूप से चलाए जा रहे कंपनियों में स्थानांतरित किया.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)