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सुप्रीम कोर्ट ने कबीर शंकर बोस की सुरक्षा चूक मामले की CBI जांच का दिया आदेश

भाजपा नेता कबीर शंकर बोस ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस से लेकर सीबीआई या विशेष जांच दल (SIT) या किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.

Written by My Lord Team |Published : December 4, 2024 2:03 PM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कबीर शंकर बोस (BJP Leader Kabir Shankar Bose) के खिलाफ 2020 में तृणमूल कांग्रेस के साथ हुए विवाद से संबंधित दो एफआईआर को सीबीआई (CBI) को ट्रांसफर किया है. सुप्रीम कोर्ट ने बोस की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया था. बोस ने याचिका में आरोप लगाया कि उनके आवास को 200 गुंडों ने घेर लिया था.

SC ने भाजपा नेता के खिलाफ जांच CBI को सौंपी

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना एवं जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने बोस की एक याचिका पर यह फैसला दिया है. बोस ने शीर्ष अदालत से इस मामले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस से लेकर सीबीआई या विशेष जांच दल (SIT) या किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.

पीठ ने कहा,

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‘‘इस मामले के विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए प्रतिवादियों को आदेश दिया जाता है कि वे दोनों प्राथिमिकियों के जांच संबंधी दस्तावेज तथा जांच पूरी करने के लिए सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंप दें, ताकि यदि आवश्यक हो तो मुकदमा शुरू किया जा सके और संबंधित पक्षों को न्याय मिल सके.’’

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के नेता कबीर शंकर बोस के सुरक्षाकर्मियों एवं तृणमूल कांग्रेस के बीच हुई हाथापाई को लेकर बोस के खिलाफ की गयी दो प्राथमिकियों (FIR) को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया है.

क्या है मामला?

भाजपा नेता कबीर शंकर बोस ने कथित हाथापाई के संबंध में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में जांच और आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने की भी अपील की थी. अपनी याचिका में बोस ने दावा किया था कि छह दिसंबर, 2020 को पश्चिम बंगाल के सेरामपुर में रात करीब आठ बजे उनके आवास के बाहर उन पर और उनके सीआईएसएफ गार्ड पर हमला हुआ तथा नारेबाजी की गई थी.

उन्होंने याचिका में दावा किया कि प्रोटोकॉल के तहत सीआईएसएफ (कर्मियों) ने याचिकाकर्ता को तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. इसके बाद जो हुआ वह सीआईएसएफ की ओर से अपने सुरक्षाकर्मी की जान बचाने के लिए प्रोटोकॉल था और याचिकाकर्ता मौके पर मौजूद भी नहीं था. याचिका में यह भी कहा गया है कि रात दो बजे तक पूरी इमारत को तृणमूल के 200 से अधिक गुंडों ने घेर रखा था, जिनका नेतृत्व इलाके के तत्कालीन सांसद कल्याण बनर्जी कर रहे थे और उन्हें राज्य पुलिस का भी पूरा समर्थन हासिल था.