Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने रविवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता नियम और विदेशी मध्यस्थ अदालतों के फैसलों को लागू करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता हमेशा संदेह से परे रही है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह वैकल्पिक विवाद-समाधान तंत्र देश में विवादों के निस्तारण का पसंदीदा तरीका बनकर उभर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और कानून के शासन पर आधारित एक सम्मेलन के समापन समारोह में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि यह सम्मेलन उच्चतम न्यायाललय की स्थापना के 75 साल और स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) की स्थापना के 125 साल पूरे होने का जश्न मनाता है.
जस्टिस ने कहा कि आज भारत मध्यस्थता में एक नये युग की दहलीज पर खड़ा है. मध्यस्थता न केवल हमारे देश में विवाद निपटारे का एक पसंदीदा तरीका बनकर उभर रही है, बल्कि इसे लगातार ढांचागत समर्थन भी हासिल हो रहा है.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता नियम और विदेशी मध्यस्थ अदालतों के फैसलों को लागू करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता हमेशा संदेह से परे रही है और यह इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि भारत जिनेवा सम्मेलन पर हस्ताक्षर करने वाले छह एशियाई देशों और न्यूयॉर्क संधि के 10 मूल हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मुझे यह जानकर बेहद खुशी हो रही है कि यह शुभ अवसर भारत में मध्यस्थता के उज्ज्वल भविष्य का संकेत देता है. भारत में पीसीए के कार्यालय की स्थापना अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण छलांग का प्रतीक है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मध्यस्थता किसी भी तरह से भारतीय उपमहाद्वीप के लिए नयी नहीं है और भारत के समृद्ध इतिहास में मध्यस्थता प्रक्रिया के कई उल्लेख मिलते हैं.
उन्होंने सम्मेलन में मौजूद वकीलों, न्यायिक अधिकारियों और विधि छात्रों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा कि यह घटनाक्रम (भारत में पीसीए कार्यालय की स्थापना) विवादों के समाधान के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ती स्वीकृति का एक और प्रमाण है. पीसीए की मौजूदगी के साथ हम उम्मीद कर सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय पक्ष भारत को मध्यस्थता के केंद्र के रूप में चुनने में अधिक दिलचस्पी दिखाएंगे, जिसके लिए पीसीए के साथ कायम हुई विश्वसनीयता और विशेषज्ञता जिम्मेदार है.
जस्टिस सूर्यकांत ने हालांकि कहा कि यह सिर्फ विदेशी पक्षों को आकर्षित करने के बारे में नहीं है, बल्कि भारतीय व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए मध्यस्थता को और अधिक सुलभ बनाने के बारे में भी है. उन्होंने कहा कि अब उन्हें (भारतीय व्यवसायों और व्यक्तियों को) पीसीए की सेवाएं हासिल करने के लिए जटिल ‘लॉजिस्टिक’ बाधाओं को पार नहीं करना पड़ेगा और न ही भारी-भरकम खर्च उठाना पड़ेगा। एक स्थानीय कार्यालय के साथ, हम यहां भारत में ही पीसीए की विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठा सकते हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत में कार्यालय स्थापित करने के पीसीए के कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि हालांकि पीसीए ने देश में कार्यालय स्थापित करने का फैसला देर से लिया, लेकिन यह सही समय पर आया है.