नई दिल्ली: Supreme Court ने अदालती कार्यवाही की YouTube पर Live Streaming के कॉपीराइट को सुरक्षित करने की कार्यवाही की शुरू कर दी है.
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए आरएसएस के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य द्वारा दायर जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया है.
याचिका में गोविंदाचार्य ने 2018 के फैसले के अनुसार Supreme Court की Live Streaming कार्यवाही के कॉपीराइट की रक्षा के लिए YouTube के साथ एक विशेष व्यवस्था के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि निजी प्लेटफार्मों को अदालत के लाइव-स्ट्रीम वीडियो से व्यावसायिक लाभ लेने की अनुमति देने से न्यायपालिका की गरिमा प्रभावित हुई है.
अधिवक्ता ने कहा कि अदालत की कार्यवाही की Live Streaming को दो कारणों से संतुलित किया जाना आवश्यक है. अधिवक्ता ने कहा किlive एक अदालत की गरिमा और दूसरा लाइव स्ट्रीमिंग के समझौता किए गए कॉपीराइट में व्यावसायिक लाभ इस अदालत के फैसले के खिलाफ है.
अधिवक्ता के तर्क पर सीजेआई ने कहा कि अदालतों की स्वतंत्र लाइव स्ट्रीमिंग से संबंधित काम पहले से ही चल रहा है. सीजेआई ने कहा कि " हमने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है और इस पर कार्य जारी है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की YouTube के माध्यम से लाइव-स्ट्रीमिंग केवल एक अस्थायी व्यवस्था थी और लाइव-स्ट्रीम वीडियो होस्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक इडिपेंडेंट प्लेटफॉर्म विकसित करने का कार्य कर रहा है.
सीजेआई ने इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान ये जानकारी दी थी.
याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट के कंप्यूटर सेल के रजिस्ट्रार एचएस जग्गी ने एक हलफनामे में कहा था कि " न केवल रजिस्ट्री, बल्कि एनआईसी के पास भी वर्तमान में थर्ड पार्टी एप्लिकेशन और समाधानों के बिना लाइव स्ट्रीमिंग को पूरी तरह से अपने दम पर होस्ट करने के लिए पर्याप्त तकनीकी और बुनियादी ढांचा नहीं है"
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी की आलोचना करना बहुत आसान है. पीठ ने गोविंदाचार्य के अधिवक्ता से कहा था कि ऐसे समय में ‘लाइव स्ट्रीमिंग' के लिए किन तौर-तरीकों का पालन किया जा सकता है जब राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) कह रहा कि उसके पास तीसरे पक्ष के एप्लिकेशन के बिना अदालत की ‘लाइव-स्ट्रीम' कार्यवाही के लिए पर्याप्त तकनीकी ढांचा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की 20 सितंबर 2022 को हुई फुल कोर्ट ने संविधान पीठों की कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग' शुरू करने का फैसला लिया था.सुप्रीम कोर्ट में 27 सितंबर 2022 को पहली बार अदालती कार्यवाही का यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया था.
17 अक्टूबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने गोविंदाचार्य की इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमती दी थी.