सुप्रीम कोर्ट कल यानि दो दिसंबर को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करेगा जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र (Poll Centres) पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ताओं की दलील है कि वोटर्स की संख्या बढ़ाने से कतार लंबी लगेगी, जिससे लोग लंबे इंतजार की वजह से वोट देने नहीं आएंगे. आइये जानते हैं कि याचिकाकर्ताओं की दलील और सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में क्या कहा था...
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) और जस्टिस संजय कुमार (Justice Sanjay Kumar) की पीठ इंदु प्रकाश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी, जिन्होंने अगस्त 2024 में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दो निर्देश को चुनौती दी है, जिसमें भारत भर में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में प्रति मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है. पहले शीर्ष अदालत ने 24 अक्टूबर को निर्वाचन आयोग को कोई नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को आयोग के स्थायी वकील को प्रति देने की अनुमति दी ताकि इस मुद्दे पर उनका रुख पता चल सके.
पीठ ने कहा कि
"निर्वाचन आयोग चाहता है कि अधिक से अधिक लोग मतदान करें और इलेक्टॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल से मतपत्रों की तुलना में इसमें कम समय लगता है."
सिंह ने दलील दी है कि प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का निर्णय मनमाना है और किसी भी डेटा पर आधारित नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि मतदाताओं की संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने से वंचित समूह चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे, क्योंकि किसी व्यक्ति को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में अधिक समय लगेगा.
याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि निर्वाचन आयोग के फैसले से महाराष्ट्र और झारखंड (जो अब संपन्न हो चुके हैं) तथा अगले वर्ष होने वाले बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं पर असर पड़ेगा. सिंह ने कहा कि चुनाव सामान्यतः 11 घंटे तक चलता हैं और एक वोट डालने में लगभग 60 से 90 सेकंड का समय लगता है, इसलिए एक ईवीएम के साथ किसी मतदान केंद्र पर एक दिन में 660 से 490 व्यक्ति अपना वोट डाल सकते हैं. औसत मतदान प्रतिशत 65.70 प्रतिशत मानते हुए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 1,000 मतदाताओं के लिए तैयार मतदान केंद्र पर लगभग 650 मतदाता आते हैं. सिंह की याचिका में कहा गया है कि ऐसे भी मतदान केंद्र हैं जहां 85-90 प्रतिशत मतदान होता है. याचिका में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में करीब 20 प्रतिशत मतदाता मतदान के समय के बाद भी कतार में खड़े रहेंगे या लंबे इंतजार के कारण अपने मताधिकार का प्रयोग करना छोड़ देंगे.