नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सात दिनों के लिए नियमित जमानत देने से गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा इनकार किये जाने वाले आदेश पर रोक लगते हुए अंतरिम जमानत की अनुमति प्रदान की. जानकारी के अनुसार, जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना और दीपांकर दत्ता की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में विशेष सुनवाई करते हुए हाल ही में यह निर्देश जारी किया.
आपको बता दे कि एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में उच्च सरकारी अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित रूप से फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए गुजरात पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत दी और समर्पण के आदेश पर रोक लगा दिया.
गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था और सीतलवाड़ को तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए तीस्ता को बड़ी राहत दी.
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित पहले के आदेश पर ध्यान दिया, जिसके तहत तीस्ता को अंतरिम जमानत दी गई थी.
मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि सितंबर 2022 का आदेश पारित करते समय, तत्कालीन सीजेआई यूयू ललित की अगुवाई वाली पिछली पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखा था कि याचिकाकर्ता एक महिला है जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure -CrPC) की धारा 437 के तहत विशेष संरक्षण की हकदार है.
अंतरिम जमानत देने के मामले में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के मतभेद के बाद जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने विशेष सुनवाई करते हुए तीस्ता को यह राहत दी.
गुजरात हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ को जिस तरह तुरंत सरेंडर करने को कहा उस पर बेंच ने असहमति जताई. इसे लेकर जस्टिस गवई ने कहा "सीतलवाड़ को कस्टडी में लेने की इतनी अर्जेंसी क्या है? क्या आसमान टूट पड़ेगा अगर कुछ दिनों के लिए अंतरित सुरक्षा दे दी जाएगी?"
इसके साथ ही पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीतलवाड की अपील को सूचीबद्ध करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश भी दिया।