सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 जनवरी, 2024) को न्यायिक सेवा (जूनियर डिवीजन) परीक्षा के लिए उम्मीदवार का आवेदन खारिज करने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) का फैसला रद्द कर दिया और UPPSC को वादी के परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया.
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने आदेश दिया कि राज्य आयोग वादी इमरान सदफ का परीणाम (Result) जारी करने को कहा. कोर्ट ने UPPSC के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें वादी को मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए अयोग्य माना.
बेंच ने कहा,
"आक्षेपित आदेश रद्द कर दिया गया. जैसा कि हम प्रतिवादी राज्य आयोग को वादी का परिणाम घोषित करने और उसे उत्तर प्रदेश राज्य को भेजने का निर्देश देते हैं."
मामले की पूरी कहानी
मामला मई, 2023 में हुए UPPSC द्वारा आयोजित न्यायिक सेवा (जूनियर डिवीजन) से जुड़ा है. जहां वादी सदफ इमरान को प्रतिवादी राज्य आयोग (State Commission) द्वारा मुख्य परीक्षा में बैठने से रोक दिया जाता है. राज्य आयोग ने अनुमति नहीं देने की वजह बताया, कि वादी अपने मुख्य परीक्षा आवेदन (Mains Exam Application) की हार्ड कॉपी समय सीमा के अंदर भेजने में असफल रहीं. उनके आवेदन की हार्ड कॉ़पी आयोग के पास एक कार्य दिवस (One Working Day) की देरी से पहुंची.
जबाव में वादी सदफ इमरान ने कहा, कि आयोग ने ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किया. और बाद में मुख्य परीक्षा में शामिल होने की उम्मीदवारी रद्द कर दी. साथ ही उनके आवेदन की हार्ड-कॉपी डाकघर की सेवाओं की कमी की वजह से आयोग के पास देर पहुंचा.
आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
वादी ने अपनी पात्रता (Candidature) रद्द करने के खिलाफ UPPSC के सामने अपील की. जिसे आयोग ने खारिज कर दिया. आयोग के इस निर्णय के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 32 (Article 32) के तहत याचिका दायर की. और अनुच्छेद 21 के तहत परीक्षा में बैठने के उसके मौलिक अधिकार के उल्लंघन का दावा किया.
मुख्य परीक्षा में मिली सफलता
मामले की सुनवाई में कोर्ट ने को वादी को अंतरिम राहत दी. और आयोग को उसे मुख्य परीक्षा में बैठने देने का निर्देश दिया. 22 मई, 2023 : कोर्ट ने आयोग से वादी को मुख्य परीक्षा में बैठने देने को कहा. रिजल्ट के आने पर, वादी मुख्य परीक्षा में सफल हुआ और इंटरव्यू के लिए योग्य पाया गया. वहीं, 21 नवंबर, 2023 को अदालत ने आयोग से वादी के इंटरव्यू परिणाम को अदालत के सामने पेश करने को कहा. बाद में, कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 12 दिसंबर, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रखा.