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'मुख्यमंत्री पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा बयान कैसे दे सकता है?', तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी और सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए नाराजगी जताई है. शासन के तीनों अंगों के बीच आपसी सम्मान बनाए रखने के निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के पद पर बैेठा हुआ व्यक्ति ऐसा कैसे कह सकता है? 

Written by Satyam Kumar |Updated : August 30, 2024 7:28 PM IST

हाल ही तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी ने बीआरएस नेता के कविता को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए नाराजगी जताई है. शासन के तीनों अंगों के बीच आपसी सम्मान बनाए रखने के निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के पद पर बैेठा हुआ व्यक्ति ऐसा कैसे कह सकता है?  के कविता की जमानत पर टिप्पणी करते हुए तेलंगाना सीएम रेड्डी ने कहा कि बीआरएस और बीजेपी के बीच समझौता होने के चलते ये राहत मिली है (Telanaga CM Revant Reddy On K Kavitha's Bail Plea).

तेलंगाना सीएम का बयान गैर जिम्मेदाराना, सुप्रीम कोर्ट ने रेवंत रेड्डी से जाहिर की नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर गवई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम पार्टियां देख कर फैसला नहीं सुनाते हैं. जस्टिस ने ये भी कहा कि वे शासन की तीनों अंगों के बीच आपसी सम्मान बनाए रखें. जस्टिस केवी विश्वनाथन ने पूछा कि मुख्यमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह का गैरजिम्मेदाराना बयान कैसे दिया जा सकता है?

27 अगस्त के दिन सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली शराब नीति घोटाले में बीआरएस नेता के कविता को जमानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने के कविता को पीएमएलए के सेक्शन 45(1) के तहत मिले विशिष्ट अधिकार के तहत के कविता को जमानत दी है, जिस पर तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने टिप्पणी की है.

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पूरा वाक्या क्या है?

गुरुवार की सुबह, न्यायमूर्ति गवई और विश्वनाथनऔर न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की पीठ, बीआरएस विधायककी याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में  2015 के कैश-फॉर-वोट मामले की सुनवाई से जुड़ा है जिसे तेलंगाना राज्य से बाहर सुने जाने की मांग की गई है. अदालत ने कहा कि वह मामले को तेलंगाना से बाहर ट्रांसफर करने के बजाय एक विशेष अभियोजक नियुक्त करेंगे, जिससे सुनवाई बिना किसी बाधा के चलती रहे. इस दौरान लंच ब्रेक हुआ. लंच ब्रेक के बाद अदालत पब्लिक प्रोसिक्यूटर के नाम पर सुझानेवाली थी. इसी दौरान उनका बयान मीडिया में आया जिसमें रेवंत रेड्डी ने दावा किया कि के कविता को जमानत बीजेपी-बीआरएस के बीच हुई डील की वजह से मिली है. बयान आने के बाद मामले का रूख ही बदल गया.

अब वादी पक्ष के वकील ने दावा किया कि रेवंत रेड्डी तेलंगाना के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री दोनों हैं, इसलिए यह मुकदमा निष्पक्ष नहीं होगा. वकील ने दावा किया कि रेवंत रेड्डी मामले में अभियोजक और आरोपी दोनों हैं. उन्होंने (रेवंत रेड्डी) पहले भी जांच अधिकारी को धमकाया था.

वकील ने आगे दावा किया,

 "अगर  रेवंत रेड्डी में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को चुनौती देने की हिम्मत है, तो कोई कल्पना कर सकता है कि तेलंगाना राज्य के भीतर ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही के दौरान वह क्या करेंगे."

इस पर जस्टिस बीआर गवई ने तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी के वकीलों से कहा,

"अगर किसी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस तरह की टिप्पणी करने की हिम्मत है. अगर कोई इस तरह के अड़ियल रवैये का है, तो उसे [रेवंत रेड्डी] राज्य के बाहर मुकदमे का सामना करने दें."

इस पर वकीलों ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें मुख्यमंत्री से बात करने के लिए समय दिया जाए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 2 सितंबर तक टाल दिया है.