हेमंत सोरेन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने ED के गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें आगे सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप हाईकोर्ट जाने की बजाय सीधे यहां कैसे आ गए. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस याचिका को झारखंड हाईकोर्ट में शीघ्र सूचीबद्ध करने की मांग कर सकते हैं. ऐसा कहकर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर आगे की सुनवाई करने से इंकार किया. बता दें कि हेमंत सोरेन को जमीन की हेराफेरी मामले में ED ने गिरफ्तार किया है.
हेमंत सोरेन की रिट याचिका पर त्वरित सुनवाई के लिए 4 जजों की बेंच गठित की गई जिसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी शामिल थे. मामले में सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि इस मामले को पहले हाईकोर्ट के समक्ष क्यो पेश नहीं किया. इस पर हेमंत सोरेन का पक्ष रख रहे वकील कपिल सिब्बल ने कहा,
"कोर्ट को इस मामले को एक मिसाल के तौर पर पेश करना चाहिए, एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लिया गया है, इसके पर्याप्त सबूत मौजूद है. ये अच्छा संकेत नहीं है."
प्रत्युत्तर में जस्टिस खन्ना ने कहा,
"पहले, कोर्ट सबके लिए खुले है. दूसरा, हाईकोर्ट संवैधानिक कोर्ट है. अगर हम एक व्यक्ति को ऐसी छूट देते हैं तो हमें यह अधिकार सभी को देना होगा. जस्टिस खन्ना ने मामले से जुड़े ED के समन को सीधे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात दोहराई. उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन को संबंधित हाईकोर्ट में जाने को कहा था."
ED ने हेमंत सोरेन के खिलाफ FIR दर्ज किया. आरोप लगा कि हेमंत सोरेन ने अवैध तरीके से रांची में 8.5 एकड़ की जमीन हासिल की. ED ने जांच के दौरान पाया कि इन जमीनों के कागजात नकली है. उन्होंने इस संपत्ति को एक बड़े सिंडिकेट के साथ मिलकर बनाया है जिसमें लैंड माफिया और नौकरशाही के कई अफसर भी शामिल है.