Congress MLAs Disqualification: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के छह बागी विधायकों को निष्कासित कर दिया गया है. इन बागी विधायकों ने विधानसभा स्पीकर के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32 हवाला देते हुए मौलिक अधिकार के संरक्षण की मांग की. सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों से पूछा कि आप कौन-से मौलिक अधिकार के हनन की बात कर रहे हैं? वहीं, सीनियर वकील सत्य पाल जैन के अनुरोध पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई को सोमवार तक के लिए टाल दिया है.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में स्पीकर ने कांग्रेस के छह विधायकों को निष्कासित किया है. इन विधायकों के ऊपर पार्टी के फैसले से इतर जाकर वोट देने के आरोप हैं. कांग्रेस नेताओं ने राज्य सभा सदस्यों को मनोनीत करने में पार्टी के खिलाफ जाकर क्रास वोटिंग किया है, जिससे कांग्रेस नेता सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा. साथ ही इन नेताओं ने बजट सत्र में वोटिंग के दौरान गायब रहें, जिससे राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी.
जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपंकर दत्ता और प्रशांत कुमार मिश्रा मौजूद रहें. याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट सत्य पाल जैन ने सुनवाई को टालने की मांग की. ये मांग उन्होंने सीनियर वकील साल्वे की अनुपस्थित रहने पर कहा.
हालांकि, बेंच ने पूछा,
“आप संबंधित हाईकोर्ट में क्यों नहीं गए? और याचिका में किस मौलिक अधिकार के हनन की बात कर रहे हैं?”
सीनियर एडवोकेट जैन ने कहा,
"वे संविधान प्रदत शक्तियों द्वारा चुने गए हैं."
जस्टिस खन्ना ने कहा,
“यह कोई मौलिक अधिकार नहीं है.”
जैन ने प्रत्युत्तर दिया
"यह एक असाधारण घटना है, जहां इन विधायकों को अठारह घंटे के अंदर ही स्पीकर द्वारा निष्कासित कर दिया गया हैं."
बेंच ने निष्कासित करने के समय तथा सबूत के तौर दिए गए व्हॉटसएप मैसेज और ईमेल को नोट पर ध्यान देते हुए मामले की सुनवाई को अगले सोमवार तक के लिए टाल दिया.