दिल्ली के रिज क्षेत्रों में पेड़ो की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट बेहद सख्त है. सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में जवाबदेही तय करने को लेकर सजग भी है. मामले में दोनों पक्षों, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और डीडीए के चैयरमैन और पूर्व उपाध्यक्ष सुभासीष पांडा अपना जवाब दाखिल कर चुके हैं. जवाब आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गौर किया कि दिल्ली के उपराज्यपाल को पेड़ों की कटाई की जानकारी को लेकर दोनों पक्षों के जवाब अलग-अलग हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा के माध्यम से दिल्ली के उपराज्यपाल और डीडीए चेयरमैन को अपना जवाब देने को कहा है. आगे बढ़ने से पहले बताते चले कि यह मामला दिल्ली के रिज क्षेत्रों में पेड़ो की कटाई में अदालत के रोक के फैसले की अनदेखी करने को लेकर डीडीए के चैयरमैन के खिलाफ अदालत की अवमानना चलाने से जुड़ा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ो की कटाई पर रोक लगा रखी है.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की. अदालत ने साफ कहा कि एलजी को पेड़ काटने की जानकारी कब मिली, इसकी तारीख को लेकर डीडीए के चेयरमैन (एलजी) और डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभासीष पांडा के जवाब में अलग-अलग है. एलजी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जहां यह कहा है कि उन्हें पेड़ काटे जाने के बारे में पता 10 जून को लगा. वही डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभासीष पांडा की ओर से दाखिल पत्र के मुताबिक उन्होंने 12 अप्रैल को ही LG को इस बारे में सूचना दी थी.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एलजी वी के सक्सेना और डीडीए के पूर्व चैयरमैन सुभासीष पांडा को कहा कि वो हलफनामा दाखिल कर ये स्पष्ट करें कि उन्हें पेड़ काटे जाने की जानकारी कब मिली थी. कोर्ट ने 4नवंबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा.अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी.