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विवादित BBC documentary पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

विवादित BBC documentary को लेकर भारत में बवाल जारी है. अब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

Written by My Lord Team |Published : January 30, 2023 8:45 AM IST

नई दिल्ली: विवादित BBC Documentary पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अपनी सहमती दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दो याचिकाएं आज दायर की गई हैं. एक याचिका वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वकील प्रशांत भूषण ने दायर की है और वहीं एक और याचिका अधिवक्ता एम एल शर्मा ने दायर की है. दोनों की सुनवाई एक साथ 6 फरवरी को होगी.

वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वकील प्रशांत भूषण ने याचिका इसलिए दायर की है क्योंकि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के निर्देश के तहत उनकी ट्वीट को ट्विटर से हटा दिया गया लेकिन इसके संबंध में कोई भी औपचारिक अवरोधन आदेश सार्वजनिक नहीं किया गया है.

अधिवक्ता एम एल शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में एक संवैधानिक सवाल उठाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से यह तय करने का आग्रह किया है कि संविधान के अनुच्छेद 19(1) और (2) के तहत नागरिकों को 2002 के गुजरात दंगों पर समाचार, तथ्य और रिपोर्ट देखने का अधिकार है या नहीं.

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इसी के साथ याचिका में उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के 21 जनवरी, 2023 के BBC Documentary को बैन करने के आदेश को अवैध, दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक बताया है तथा इस निर्देश को रद्द करने की मांग की है.

अंततः जनहित याचिका ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह BBC Documentary के दोनों भागों की जांच करे और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे जो 2002 के गुजरात दंगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे.

क्या है मामला

17 जनवरी को, बीबीसी ने भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के उदय और 2002 के भयानक गुजरात दंगों में उनकी "भूमिका" के विवाद पर अपने दो-भाग वाली Documentary के पहले भाग को प्रसारित किया था. उसी दिन से यह Documentary भारत में एक बेहद विवादित मुद्दा बन गई.

इसके बाद 21 जनवरी को, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने IT नियम 2021 के अंतर्गत अपनी आपातकालीन शक्तियों का उपयोग किया और YouTube और ट्विटर (Twitter) से इस Documentary के पहले भाग के लिंक हटाने का निर्देश पारित किया.

इसी निर्देश को उपरोक्त याचिकाओं द्वारा चुनौती दी जा रही है.