सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली आबकारी नीति मामले में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में व्यवसायी विजय नायर की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है. विजय नायर ने शराब नीति मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर सुनवाई अगले सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी, जिसने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का और समय मांगा है. सुनवाई के दौरान नायर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनका मुवक्किल पिछले 21 महीनों से जेल में है.
इस मामले में नायर को पहले सितंबर 2022 में सीबीआई ने और बाद में ईडी ने गिरफ्तार किया था. उन्होंने इस आधार पर जमानत मांगी है कि सह-आरोपी मनीष सिसोदिया को जमानत मिल चुकी है और मामले में सुनवाई शुरू नहीं हुई है. नायर के वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल को जेल में नहीं रहना चाहिए और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
इससे पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी जमानत याचिका में नायर ने कहा था कि वह केवल AAP के मीडिया और संचार प्रभारी थे और किसी भी तरह से आबकारी नीति के मसौदे, रूपरेखा या कार्यान्वयन में शामिल नहीं थे और उन्हें उनके राजनीतिक जुड़ाव के लिए "पीड़ित" किया जा रहा है. नायर ने कहा था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप गलत, झूठे और निराधार हैं.
उन्होंने दावा किया कि 13 नवंबर, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह से अवैध थी और "बाहरी विचारों से प्रेरित प्रतीत होती है" यह देखते हुए कि विशेष अदालत से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच किए जा रहे भ्रष्टाचार के मामले में उनकी जमानत याचिका पर आदेश सुनाने की उम्मीद थी।
ईडी ने पहले अदालत को बताया था कि आप नेताओं की ओर से विजय नायर ने कथित तौर पर साउथ ग्रुप नामक समूह से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी. नायर आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व मीडिया और संचार प्रभारी और मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट फर्म ओनली मच लाउडर के पूर्व सीईओ हैं. ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, लाइसेंस शुल्क माफ किया गया या कम किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया। एल-1 लाइसेंस किसी भी राज्य में शराब के व्यापार में कम से कम पांच साल का थोक वितरण अनुभव रखने वाली व्यावसायिक इकाई को दिया जाता है.