हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के समर्थन को लेकर भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (BNS Section 152) के तहत अपराध मानने से इनकार किया. याचिकाकर्ता रियाज को जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि किसी घटना का संदर्भ लिए या भारत का नाम लिए बिना केवल पाकिस्तान का समर्थन करना प्रथम दृष्टया अपराध नहीं है. बीएनएस की धारा 152 भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य को अपराध मानती है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस अरुण कुमार देशवाल ने रियाज नाम के एक व्यक्ति की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने और तथ्यों पर गौर करने के बाद इस बात में कोई विवाद नहीं है कि ‘इंस्टाग्राम’ पर पोस्ट करते समय याचिकाकर्ता ने ऐसी कोई बात नहीं लिखी जिससे हमारे देश के प्रति अपमान प्रदर्शित होता हो. हाई कोर्ट ने आगे कहा कि किसी घटना का संदर्भ लिए या भारत के नाम का जिक्र किए बगैर महज पाकिस्तान के लिए समर्थन करने से प्रथम दृष्टया बीएनएस की धारा 152 के तहत अपराध नहीं बनता है.
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के सोशल मीडिया पोस्ट में भारत के सम्मान व संप्रभुता को कम नहीं किया गया और न ही भारतीय झंडा या इसका नाम या कोई फोटो पोस्ट की गई, जिससे हमारे देश का अपमान होता हो.
हाई कोर्ट ने 10 जुलाई को दिए फैसले में कहा कि बीएनएस की धारा 152 एक नई धारा है जिसमें सख्त दंड का प्रावधान है और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में ऐसी कोई संगत धारा नहीं थी, इसलिए धारा 152 लगाने से पहले उचित ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि सोशल मीडिया पर बोले गए शब्द या पोस्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में भी आते हैं.
(खबर एजेंसी इनपुट के आधार पर है)