नई दिल्ली: गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या मामले की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका के जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच की स्थिति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की है. जिसके तहत यह जानकारी दी गई है कि यह हत्या किन सुरक्षा चूकों की वजह से हुई है.
उत्तर प्रदेश की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि राज्य ने शीर्ष अदालत के 28 अप्रैल के आदेश के संदर्भ में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है, जो वकील विशाल तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया गया था, जिन्होंने अहमद और उनके भाई की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “फिलहाल, हम व्यक्तिगत मुद्दों पर गौर नहीं कर रहे हैं। हम प्रणालीगत समस्या पर गौर कर रहे हैं।”
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल, 2023 को आदेश दिया था कि उत्तर प्रदेश सरकार, गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई की मौत के साथ-साथ पूर्व घटना, जिसमें उसके बेटों की पुलिस की जवाबी गोलीबारी में मौत हो गई थी, की जांच के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी पेश करें. इसके अलावा विकास दुबे मुठभेड़ मामले की जांच करने वाली जस्टिस बीएस चौहान समिति द्वारा की गई पुलिस सुधार सिफारिशों के अनुसार उठाए गए कदम की भी जानकारी मांगी गई थी.
मिली जानकारी के मुताबिक स्टेटस रिपोर्ट में अतीक अहमद और उसके भाई के हिरासत में रहते हुए कौन -कौन सी घटनाएं घटी और वारदात के दिन क्या-क्या हुआ इसकी पूरी जानकारी दी गई. जिसके अनुसार 15 अप्रैल को आरोपियों को हथियार बरामदगी के लिए थाने से ले जाया गया. जांच के दौरान उनके पास से करीब 17 असलहे बरामद किए गए. वापस लौटते समय उन्होंने बेचैनी की शिकायत की और उन्हें रात करीब 10.20 बजे मोतीलाल नेहरू अस्पताल ले जाया गया. उस वक्त मीडिया की टीमें पुलिस की गाड़ियों का पीछा कर रही थीं.
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि पुलिस टीम अस्पताल परिसर में जैसे ही आगे बढ़ी, मीडिया कर्मियों की भीड़ ने सुरक्षा घेरा तोड़ दिया और आरोपियों के बयान लेने लगी. आरोपी अतीक और अशरफ रुक गए और मीडियाकर्मियों से बात करने लगे. तभी अचानक भीड़ में से 2 मीडियाकर्मियों ने अपने-अपने कैमरे और माइक गिरा दिए, अत्याधुनिक अर्ध-स्वचालित हथियार निकाल लिए और आरोपियों पर गोलीबारी शुरू कर दी. एक तीसरा कथित मीडियाकर्मी भी गोलीबारी में शामिल हो गया.
मीडियाकर्मियों के भेष में मौजूद तीन व्यक्तियों ने अतीक अहमद और अशरफ पर गोली चला दी. इस गोली बारी में दोनो की मौत मौका-ए-वारदात पर ही हो गई. पूरी घटना केवल 9 से 10 सेकंड तक चली.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट की माने तो इस घटना में एक कांस्टेबल और कुछ पत्रकार भी गोली लगने से घायल हो गए. जांच के दौरान हमलावरों की पहचान लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ सनी पुराणे और अरुण कुमार मौर्य के रूप में की गई. जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया.
इस घटना के बाद राज्य सरकार द्वारा 16 अप्रैल, 2023 को 2 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया. बाद में इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस माननीय जज दिलीप बाबासाहेब भोंसले की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय आयोग तक विस्तारित किया गया.
दाखिल रिपोर्ट में यह बताया गया है कि समिति की ओर से कुल 38 गवाहों से पूछताछ की गई. फिलहाल 45 और गवाहों से पूछताछ होनी है. इसलिए राज्य सरकार ने अपना कार्यकाल तीन महीने और बढ़ाकर 24 सितंबर 2023 तक कर दिया.
इसके अलावा, प्रयागराज के कमिश्नर द्वारा एडिशनल डीसीपी की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया. डीजीपी, यूपी द्वारा गठित 3 सदस्यीय टीम द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है. फोरेंसिक टीम द्वारा अपराध स्थल का पुनर्निर्माण किया गया और 34 चश्मदीदों सहित 78 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. उनके पास से तीन पिस्टल, मैगजीन और एनसीआर न्यूज चैनल का माइक बरामद हुआ. इसके साथ ही फोन की बरामदगी और छर्रों की फोरेंसिक जांच की जा रही है. लापरवाही के लिए 4 पुलिस अधिकारियों और शाहगंज के एसएचओ को भी सस्पेंड कर दिया गया.
13 अप्रैल 2023 को झांसी में हुई पुलिस मुठभेड़ों में अतीक के बेटे मोहम्मद असद, और गुलाम खान की मौत की जांच के लिए माननीय जस्टिस (सेवानिवृत्त) राजीव लोचन मेहरोत्रा की अध्यक्षता में 2 सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया.
रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया कि राज्य ने पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र राज्य (2014) में पारित इस अदालत के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया. आरोपियों को मौके पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया, पंच गवाह नियुक्त किए गए और 3 डॉक्टरों के पैनल द्वारा वीडियोग्राफी के तहत पोस्टमार्टम किया गया. घटना के 24 घंटे के भीतर एनएचआरसी को सूचित किया गया.
साथ ही पुलिसकर्मियों की ग्लॉक पिस्तौल को कब्जे में लेकर फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया. घटना स्थल से साक्ष्य एकत्र किए गए और जांच जारी है. इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच के लिए सिटी मजिस्ट्रेट अंकुर श्रीवास्तव को नामित किया गया.
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई “183 पुलिस मुठभेड़ों” की जांच की भी मांग की है। उन्होंने पीठ को बताया कि उन्होंने राज्य द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर एक संक्षिप्त प्रत्युत्तर तैयार किया है।
उन्होंने दावा किया कि राज्य की स्थिति रिपोर्ट में “भौतिक तथ्य को दबाया गया” था। अहमद की बहन की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि उन्होंने एक अलग याचिका दायर की है और इसे आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। पीठ ने कहा कि वह इन मामलों पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी स्थिति रिपोर्ट हलफनामे में, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य अहमद और अशरफ की मौत की “संपूर्ण, निष्पक्ष और समय पर जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है”।