नई दिल्ली: मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय लिया है की इस केस से जुड़े सभी मामलों को अपने पास मंगवाने का फैसला लिया है जिनकी सुनवाई पहले मथुरा के लोअर कोर्ट्स में होती रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब तक इस मुद्दे से जुड़े कई मामले मथुरा की निचली अदालत में सुने जाते रहे थे.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई थी जिसके मुताबिक 'मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि' मामला एक राष्ट्रीय महत्व का मामला है और इसलिए इससे जुड़ी हर सुनवाई किसी निचली अदालत में नहीं बल्कि हाईकोर्ट में की जानी चाहिए.
याचिका में कहा गया था कि अलग-अलग कोर्ट्स में दाखिल याचिकाओं पर किसी एक ही कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए. इस अर्जी के बाद यह फैसला लिया गया कि इस मुद्दे से जुड़े सभी मामले हाईकोर्ट में सुने जाएंगे.
यहां बता दें कि मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद काफी पुराना है. मथुरा को श्रीकृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है और इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह उसी जेल के इर्द-गिर्द बना है जहां श्री कृष्ण का जन्म हुआ था.
विवाद इस मंदिर के आस-पास के 13.37 एकड़ जमीन की मलकियत को लेकर है. ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 1669 के आस-पास, कृष्ण मंदिर के पास ईदगाह बनाया गया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 12 अक्टूबर, 1968 के दिन श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत इस जमीन पर मस्जिद और मंदिर, दोनों बनने की बात हुई.
इस समझौते को भी चुनौती दी गई थी क्योंकि याचिकाकर्ताओं का यह कहना है कि इस समझौते का कोई मतलब नहीं है; जब यह तय हुआ था, तब श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट इसका हिस्सा नहीं था. फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर अब तक अलग-अलग अदालतों में कुल मिलाकर 13 मुकदमे दाखिल हो चुके हैं जिनमें से दो को खारिज कर दिया गया था. 1968 में हुए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही मस्जिद ईदगाह के बीच समझौते को चुनौती देते हुए 13 मुकदमे दाखिल हो चुके हैं.