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Skill Development Corporation scam case: चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने अलग-अलग फैसले दिए

जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि मंजूरी प्राप्त न करना दंड संहिता के तहत एक लोक सेवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है.

Written by arun chaubey |Published : January 16, 2024 5:16 PM IST

Skill Development Corporation Scam Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) क दो जजों ने तेलुगु देशम पार्टी सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) द्वारा कथित कौशल विकास निगम घोटाला मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर अलग-अलग  फैसला सुनाया. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की स्पेशल बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. इस सवाल पर अलग-अलग फैसला दिया कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्यवाही राज्य के राज्यपाल से मंजूरी प्राप्त किए बिना शुरू की जा सकती थी.

अपने फैसले में बोस ने कहा कि अधिनियम की धारा 17-ए के तहत पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए बिना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत शुरू की गई कोई भी कार्रवाई "अवैध" होगी. लेकिन उन्होंने राज्य सरकार को टीडीपी नेता पर मुकदमा चलाने के लिए नई मंजूरी प्राप्त करने की छूट दी.

दूसरी ओर, जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि मंजूरी प्राप्त न करना दंड संहिता के तहत एक लोक सेवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है. उन्होंने सितंबर 2023 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा, जिसमें नायडू की उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने और उनकी न्यायिक हिरासत को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी गई थी.

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हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

परिणामस्वरूप, नायडू की याचिका पर निर्णय लेने के लिए एक बड़ी पीठ के गठन के लिए उचित आदेश के लिए मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया गया है. यह याद किया जा सकता है कि नायडू को पिछले साल 20 नवंबर को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के जस्टिस टी मल्लिकार्जुन राव की पीठ द्वारा पहले से ही प्रस्तुत जमानत बांड पर नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था. आंध्र प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.