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समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता मामले पर सुनवाई को तैयार SC, केन्द्र सरकार को नोटिस

समलैंगिक जोड़े की ओर से दायर जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शामिल करने के लिए केंद्र को निर्देश दिए जाए

Written by nizamuddin kantaliya |Published : November 25, 2022 11:24 AM IST

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग के मामले में केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है.हैदराबाद और दिल्ली के दो गे कपल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने ये आदेश दिए हैं.

IPC की धारा 377 के बाद

गौरतलब है कि 6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक हिस्से को रद्द कर दिया था. इसके चलते दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को अपराध नहीं माना जा सकता.

हैदराबाद निवासी सुप्रियो चक्रबर्ती और अभय डांग और दिल्ली निवासी पार्थ फिरोज़ मेहरोत्रा और उदय राज आनंद ने अब समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को लेकर याचिका दायर की हैं. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शामिल करने के लिए केंद्र को निर्देश दिए जाए.

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समलैंगिकों का अधिकार

सर्वोच्च अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल और मेनका गुरुस्वामी ने पैरवी की. अधिवक्ताओं याचिकाकर्ता के पक्ष में तर्क पेश करते हुए अदालत से कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट में अंतर धार्मिक और अंतर जातीय विवाह को संरक्षण मिला हुआ है, लेकिन समलैंगिक जोड़ों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. अधिक्ताओं ने कहा कि हम सिर्फ समलैंगिकों को उनका अधिकार दिलाने की बात करना चाहते हैं.

नवतेज जौहर मामला

सुनवाई के दौरान नवतेज जौहर मामले का उदाहरण देते हुए भी अधिवक्ताओं ने कहा कि इस केस के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया है. उसी तर्ज पर पुट्टास्वामी मामले में निजता को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया है. ऐसे में अब ये आवश्यक हो गया है कि समलैंगिक विवाह को भी कानूनी मान्यता दी जाए.

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए हैं. साथ ही पीठ ने ये भी कहा कि वे इससे जुड़ी अलग-अलग हाई कोर्ट की याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर सकते हैं.