Savukku Shankar Case: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यूट्यूबर सुवक्कु शंकर को लेकर तमिलनाडु सरकार से पूछा कि क्या राज्य में 15 एफआईआर एक ही इंटरव्यू से जुड़े है. सुप्रीम कोर्टन ने सरकार से हैरानी जताते हुए कहा कि आप यह सब क्यों कर रहे हैं? जब भी वह बाहर आता है, आप उसे वापस से जेल में डाल दी है. जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को 2 सितंबर तक का समय दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने शंकर के पहले के हिरासत आदेश से बाहर आते ही एक हिरासत आदेश जारी करने के राज्य सरकार के कदम पर भी सवाल उठाया.
राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा 15 प्राथमिकी देखने और 2 सितंबर तक जवाब देने के लिए सहमत हुए.
शंकर के वकील, अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन ने कहा कि सभी प्राथमिकी एक ही साक्षात्कार से संबंधित हैं. इस पर राज्य ने दावा किया कि उन्होंने महिला पुलिस कर्मियों के बारे में टिप्पणी की थी.
शंकर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को राज्य द्वारा हिरासत आदेशों की एक श्रेणी के माध्यम से परेशान किया जा रहा है. वकील ने कहा कि शंकर ने केवल अपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग किया था, जिसके लिए राज्य उन पर मुकदमा नहीं चला रहा, बल्कि उन्हें सता रहा है.
वकील ने दावा किया कि राज्य एफआईआर का प्रयोग उनके मुवक्किल को पूरे राज्य में एक जिले से दूसरे जिले में उसे 'परेड' कराने के लिए किया जाता है.
23 अगस्त को बेंच में जस्टिस आईबी पारदीवाला ने पूछा था कि क्या राज्य यूट्यूबर को निशाना बना रहा है. जस्टिस मनोज मिश्रा के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला ने तमिलनाडु सरकार के वकील से मौखिक रूप से पूछा,
“आप यह सब क्यों कर रहे हैं? आप उस व्यक्ति को तुरंत सलाखों के पीछे डाल देते हैं, जब वह बाहर आता है,”
सुप्रीम कोर्ट ने दो सितंबर तक मामले की सुनवाई टाल दी है.
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