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Red Fort Terror Attack Case: पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ ​​अशफाक को फांसी? राष्ट्रपति मुर्मू ने क्यों खारिज की दया याचिका?

जानकारी के लिए बता दूं, 25 जुलाई 2022 को पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति ने ये दूसरी दया याचिका खारिज की है.

Written by arun chaubey |Published : June 13, 2024 10:12 AM IST

Red Fort Terror Attack Case: 24 साल पुराने लाल किला हमले मामले में दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ ​​अशफाक की दया याचिका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को खारिज कर दिया. जानकारी के लिए बता दूं, 25 जुलाई 2022 को पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति ने ये दूसरी दया याचिका खारिज की है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवंबर, 2022 को आरिफ की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी और मामले में उसे दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा था. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना ​​है कि दोषी अब भी संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत लंबे समय तक हुई देरी के आधार पर अपनी सजा में कमी के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.

अधिकारियों ने राष्ट्रपति सचिवालय के 29 मई के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि 15 मई को आरिफ की दया याचिका प्राप्त हुई थी. जिसे इस साल 27 मई को खारिज कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखते हुए कहा- कि आरिफ के पक्ष में कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं था, जिससे उसके अपराध की गंभीरता कम होती हो. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि लाल किले पर हमला देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा था.

इस हमले में घुसपैठियों ने 22 दिसंबर 2000 को लाल किला परिसर में तैनात 7 राजपूताना राइफल्स की इकाई पर गोलीबारी की थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन सैन्यकर्मी मारे गए थे. पाकिस्तानी नागरिक और प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सदस्य आरिफ को हमले के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.

कोर्ट 2022 के आदेश में कहा गया था, अपीलकर्ता-आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ ​​अशफाक एक पाकिस्तानी नागरिक था और उसने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था. आरिफ को अन्य आतंकवादियों के साथ मिलकर हमले की साजिश रचने का दोषी पाया गया और अधीनस्थ अदालत ने अक्टूबर 2005 में उसे मौत की सजा सुनाई. दिल्ली हाई कोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय ने बाद की अपीलों में इस फैसले को बरकरार रखा.