आज 500 वर्षों के बाद अयोध्या के राम मंदिर में भव्य दीपोत्सव मनने जा रहा है. राम मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यह पहली दिवाली है. इस सुअवसर को गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने की तैयारी है, 28 लाख दीयों से सरयू नदी का तट से लेकर राम मंदिर तक जगमगाने की तैयारी पूरी हो चुकी है और यह सब अयोध्या विवाद मामले में हिंदू पक्ष की ओर फैसले के आने के बाद ही संभव हुआ है.
ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करना लाजिमी है. जब पांच जजों की बेंच ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कर इस फैसले को सुनाया था. 9 नवंबर 2019 के दिन उस वक्त के सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस टाइटल सूट को राम लला के पक्ष में सुनाया. इस पीठ में वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.ए. बोबड़े शामिल थे.
21 अक्टूबर, 2024 के दिन की बात है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पुणे की एक सभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने राम मंदिर विवाद मामले में फैसला सुनाने से पहले के मन में हो रही उथल-पुथल को साझा किया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि मैं पिछले एक महीने से उलझन में पड़ा था, फैसले को लेकर साथ ही फैसले के बाद लोगों की होनेवाली प्रतिक्रिया. साथ ही चिंता इस बात की ओर भी थी कि कहीं मैं इस फैसले में कोई गलती तो नहीं कर रहा हूं.
CJI ने आगे बताया,
"मैं प्रतिदिन भगवान की पूजा करता हूं और उस दिन भी मैंने ऐसा ही किया. मैं भगवान की मूर्ति के सामने बैठ गया और उनसे कहा कि अब आप मेरे लिए रास्ता ढूंढ दें. अगर आपको विश्वास है, तो भगवान आपके लिए रास्ता जरूर सुझा देंगे. उनके सामने मैंने एक सवाल किया कि इससे बाहर निकलने का रास्ता कैसे खोजा जाए? मैंने भगवान से प्रार्थना की और मामले का फैसला करने में उनसे मदद मांगी."
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जोर देते हुए कहा कि अगर भगवान में आपकी अटूट आस्था है तो वे आपको अवश्य राह दिखाएंगे, जैसा कि उन्होंने मुझे राह सुझाया. बता दें मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इसी साल अयोध्या के राम मंदिर का दौरा किया था और उन्होंने रामलला के दर्शन किए थे.