हाईकोर्ट (High Court) ने 'ज्यूडिशयरी में करप्शन टिप्पणी' पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) को नोटिस जारी किया. गहलोत के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही की मांग करने करते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. इसमें गहलोत को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने ज्यूडिशियरी के खिलाफ बयानबाजी की है. उनका बयान ज्यूडिशियरी की गरिमा को ठेस पहुंचाती है. साथ ही ज्यूडिशियरी की प्रतिष्ठा को कम करती है.
गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि आज ज्यूडिशियरी में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है. मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं. वही जजमेंट आता है. ज्यूडिशियरी के अंदर ये क्या हो रहा है? चाहे लोअर ज्यूडिशियरी हो या अपर.
इस बयान से राजस्थान के वकील नाराज हो गए. वकीलों ने राजस्थान के जोधपुर में एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया और अशोक गहलोत के खिलाफ मामला दायर किया. इसके बाद गहलोत ने गुरूवार को अपनी टिप्पणियों से पीछे हटते हुए कहा कि ये उनकी निजी राय को प्रतिबंधित नहीं करता है. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान और विश्वास किया है.
आपको बता दें, जनहित याचिका स्थानीय वकील शिवचरण गुप्ता ने दायर की है.
जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने शनिवार को मामले की सुनवाई की. बेंच ने गहलोत को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया.
मामले को 3 अक्टूबर को सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है.
आपको बता दें, गहलोत के खिलाफ बिहार कोर्ट में भी शिकायत की गई है. बिहार के एक वकील सुधीर कुमार झा ने की है. शिकायत में कहा गया कि गहलोत ने जानबूझकर वकीलों की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ किया है. ये अदालत की अवमानना के समान है क्योंकि उन्होंने न्यायिक अधिकारियों और प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.
शिकायत में कहा गया है कि गहलोत के खिलाफ IPC की धारा 500, 501, 504 और 506 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए. संबंधित अदालत इस मामले में 11 सितंबर को सुनवाई कर सकती है.