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अपराध की सूचना नहीं देने पर भी होगी सजा, जानिए क्या है IPC 202 के प्रावधान

IPC की धारा 202 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति यह जानता है कि या उसके पास विश्वास करने का कारण है कि कोई अपराध किया गया है और उस अपराध के बारे में सूचित करने के लिए वह कानूनी तौर पर बाध्य है,

Written by Nizam Kantaliya |Published : January 3, 2023 4:33 AM IST

भारत के आपराधिक कानून के अंतर्गत केवल अपराध करने वाले व्यक्ति को ही नहीं बल्कि अपराधी को सज़ा से बचाने वाले और अपराध की सूचना देने में विफल रहने वाले व्यक्ति को भी सज़ा दी जाती है. IPC की धारा 202, ऐसे कृत्यों के लिए सज़ा का प्रावधान बनाती है.

क्या है धारा 202

IPC की धारा 202 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति यह जानता है कि या उसके पास विश्वास करने का कारण है कि कोई अपराध किया गया है और उस अपराध के बारे में सूचित करने के लिए वह कानूनी तौर पर बाध्य है, लेकिन वह सूचना देने में विफल रहता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है.

कार्यवाही में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 6 माह के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा दिए जाने का प्रावधान है.

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उदाहरण के तौर पर, यदि कोई पुलिस अफसर के सामने कोई अपराध को अंजाम दिया जाता है और वह पुलिस अफसर उसकी सूचना सम्बंधित पुलिस अधिकारी को देने में विफल रहता है. इस स्तिथि में, उस पुलिस अफसर के खिलाफ धारा 202 के अंतर्गत मामला दर्ज़ किया जाकर कार्यवाही की जाती है.

इस अपराध के मुख्य रूप से 3 तत्व हैं:

आरोपी जिसके खिलाफ धारा 202 के तहत मुकदमा दर्ज़ किया गया है, उन्हें यह पता होना चाहिए या कारण होना चाहिए कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई अपराध किया गया है.

आरोपी व्यक्ति ने जानबूझकर उस अपराध के बारे में सम्बंधित अधिकारी को जानकारी नहीं दी है.

आरोपी व्यक्ति अपराध के संबंध में जानकारी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य था फिर भी वह जानकारी देने से चूक जाता है.

हरिश्चंद्र सिंह राठौड़ और अन्य, बनाम गुजरात राज्य (1979) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धारा 202 के तहत दोष को साबित करने के लिए यह साबित करना अनिवार्य है कि किसी अपराध को अंजाम दिया गया है और व्यक्ति उस अपराध की सूचना देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, लेकिन वह सूचना देने में विफल रहा है।

अपराध की श्रेणी

यह एक जमानती और असंज्ञेय है जिसमें अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.

तो इस तरह से भारत में अपराध करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ, अपराध के संबंध में सूचना देने में विफल रहने वाले व्यक्ति को भी कार्यवाही और सख्त सज़ा का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन यह केवल तब होगा, जब वह व्यक्ति अपराध की सूचना देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य होगा.