सरकार ने सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के लिए वक्फ संशोधन विधेयक समेत 16 विधेयक सूचीबद्ध किए हैं. इनमें पांच नए विधेयक भी शामिल हैं. इन पांच नए प्रस्तावित कानूनों में एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापना से जुड़ा विधेयक भी है. लंबित विधेयकों में वक्फ (संशोधन) विधेयक भी शामिल है, जिसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति द्वारा लोकसभा में अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. 25 नवंबर से शुरू होकर शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगी.
सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों को 16 विधेयकों की एक सूची सौंपी है, जिसमें पहले से लंबित 11 कानून शामिल हैं. कार्यसूची यानि कि किसी सदन के लिए पहले से प्रस्तावित सूची में सरकार ने 16 विधेयकों को सूचीबद्ध कर रखा है, जिसमें कोस्टल शिपिंग बिल, पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक, गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व का समायोजन करने से संबंधित विधेयक, मर्चेंट शिपिंग बिल, आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, रेलवे (संशोधन) विधेयक और बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक सदन में पहले से ही लंबित हैं.
ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की अगुवाई बीजेपी सासंद जगदंबिका पाल कर रहे हैं. जेपीसी कमेटी ने साफ कहा है कि उनकी रिपोर्ट तैयार है. वे सत्र शुरू होने के बाद अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखेंगे. संभवना जताई जा रही है कि वे रिपोर्ट 29 नवंबर के दिन रख सकते हैं. वहीं, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation- One Election) से जुड़ा कोई विधेयक फिलहाल सूचीबद्ध नहीं है. मंत्रिमंडल इस रिपोर्ट को मंजूरी दे चुका है. सरकार द्वारा सूचीबद्ध अन्य विधेयक पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक है. इसके अलावा, तटीय नौवहन विधेयक और भारतीय बंदरगाह विधेयक को भी पेश और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. वक्फ (संशोधन) विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक सहित आठ विधेयक लोकसभा में लंबित हैं. दो अन्य राज्यसभा के पास हैं.
पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक को सरकार द्वारा विचार और पारित करने के लिए पेश किया गया है. इस विधेयक का उद्देश्य दिल्ली जिला अदालतों के वित्तीय अपीलीय क्षेत्राधिकार की वर्तमान सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख करना है, जिससे इन न्यायालयों द्वारा निपटाए जा सकने वाले मामलों के मौद्रिक मूल्य की सीमा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.