Divorce Case: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने तलाक से जुड़े एक मामले में कहा कि किसी महिला के चरित्र पर लांछन लगाने से अधिक 'क्रूरता (Cruelty)' कुछ नहीं हो सकती. इसके साथ ही अदालत ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर एक महिला को तलाक लेने की इजाजत दी.
कोर्ट ने देखा कि पिछले 27 वर्षों से दंपति अलग-अलग रह रहे हैं. मानसिक क्रूरता में वित्तीय स्थिरता भी आती है. पति के किसी रोजगार में न होने के कारण मानसिक चिंता होना स्वाभाविक है. ये पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता की वजह बन सकता है.
अदालत ने ये भी कहा कि 'मानसिक क्रूरता' को किसी भी सीधे जैकेट पैरामीटर में परिभाषित नहीं किया जा सकता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या कुछ कृत्य, जिनकी शिकायत की गई है, मानसिक पीड़ा और पीड़ा का स्रोत होंगे, पति-पत्नी की परिस्थितियों और स्थिति पर विचार करना होगा.वर्तमान मामले में, मानसिक आघात को समझना आसान है क्योंकि महिला रोजगार में थी और पति रोजगार में नहीं था. दोनों की वित्तीय स्थिति में भारी असमानता था.
महिला की तलाक की मांग वाली याचिका फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की थी.
महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसके पति ने उस पर अपने जीजा और कई अन्य लोगों के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाया था.
अदालत ने इस पर कहा कि किसी महिला के चरित्र पर लांछन लगाने से अधिक भयावह कुछ और नहीं हो सकता है. विवाह के बंधन, जो अगर असंगत मतभेदों और लंबी मुकदमेबाजी के कारण लंबे समय तक चलते रहते हैं, तो और अधिक क्रूरता और कटुता लाते हैं. दोनों 27 साल अलग रह रहे हैं. इसलिए विवाद को खत्म किया जा सकता है. महिला क्रूरता के आधार तलाक लेने की हकदार है.
क्या था पूरा मामला?
कपल ने 1989 में शादी की थी. उनको कोई बच्चा नहीं है. 1996 से दोनों अलग रह रहे थे. महिला ने कहा कि वह अपनी शादी से पहले एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर रही थी और उसे बताया गया कि वह व्यक्ति दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक है और विभिन्न स्रोतों से प्रति माह 10,000 रुपये कमा रहा है. ये दिखाया गया कि उस व्यक्ति के परिवार की वित्तीय स्थिति अच्छी है और उनके पास नई दिल्ली में ढाई मंजिला बंगला है.
हालांकि, शादी के बाद उसे पता चला कि वो आदमी ग्रेजुएट नहीं था और किसी भी कंपनी में काम नहीं करता था और उसके पास कोई नौकरी भी नहीं थी और उसे केवल अपनी मां से पैसे मिलते थे. उस व्यक्ति ने दहेज की मांग और क्रूरता सहित अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया.
अदालत ने कहा कि दोनों नवंबर 1996 से अलग-अलग रह रहे हैं और पिछले 27 वर्षों से कोई सुलह नहीं हुई है, ये साबित करता है कि दोनों अपने वैवाहिक रिश्ते को बनाए रखने में असमर्थ थे. इस आधार पर विवाह को खत्म किया जाना चाहिए.