नई दिल्ली: कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने हाल ही में एक फैसला सुनाया है जिसमें उन्होंने एक महिला को अपने पति से तलाक लेने की अनुमति तो दी है लेकिन कानूनी कार्रवाई से मना कर दिया है.
अदालत का कहना है कि शादी के बाद शारीरिक संबंध न बनाना IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता नहीं है। यह मामला क्या है और कर्नाटक हाईकोर्ट का इस बारे में क्या कहना है, जानिए यहां.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट के पास एक मामला सामने आया जिसमें एक महिला ने अपने पति के खिलाफ दायर याचिका में कहा कि उसके पति ने उनके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (IPC Section 498A) के तहत उनके साथ (याचिकाकर्ता) क्रूरता है। इसी के चलते महिला के पति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी।
बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागाप्रसन्ना का यह कहना है कि शारीरिक संबंध न बनाना हिंदू विवाह अधिनियम (The Hindu Marriage Act) की धारा 12(1)(a) के तहत तलाक का एक आधार हो सकता है.
साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के तहत पति के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती है क्योंकि शारीरिक संबंध न बनाना महिला के खिलाफ क्रूरता नहीं है।
दरअसल इस मामलें में एक महिला ने अपने पति से तलाक मांगा क्योंकि वो उनके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना रहे हैं। महिला का यह कहना है कि उनके पति ब्रह्मकुमारी समाज की सिस्टर शिवानी के भक्त हैं और उन्हीं के वीडियो देखते रहते हैं।
महिला का यह दावा है कि जब भी वो अपने पति के करीब जाने की कोशिश करती थीं, वो हमेशा ब्रह्मकुमारी के वीडियोज देखते रहते थे और उनका यह कहना था कि प्यार शारीरिक नहीं होता है बल्कि ये दो आत्माओं का मिलन है जहां शारीरिक संबंध की आवश्यकता नहीं है।
महिला ने अपने पति के खिलाफ जो आरोप लगाए हैं, उनकी वजह से उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कोर्ट ने तलाक के लिए तो आदेश दे दिया लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के तहत पति के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई से मना कर दिया क्योंकि यह अदालत के अनुसार महिला के खिलाफ क्रूरता नहीं है।