हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रापिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act, 1985) के तहत जब्त किए जा रहे वाहनों को उस समय तक जब्त नहीं किया जा सकता जब तक कि वाहन के मालिक यह साबित न कर दे कि उसे बिना उसकी जानकारी या सहमति के उपयोग किया गया था. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर आया, जिसमें अपीलकर्ता के जब्त किए गए ट्रक की अंतरिम रिहाई की अनुमति देने से अदालत ने इंकार कर दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रापिक सब्सटेंस एक्ट के तहत जब्त किए गए वाहनों की अंतरिम रिहाई पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने स्पष्ट किया कि जब्त किए गए वाहन को तब तक जब्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि मालिक यह साबित न करे कि उसने गाड़ी से अपराध को रोकने के लिए सभी उचित सावधानियां बरती थीं. यदि मालिक यह साबित कर देता है कि वाहन का उपयोग आरोपी ड्राइवर ने उसके जानकारी या सहमति के बिना किया, तो वाहन को जब्त नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने गाड़ी मालिक को राहत देते हुए कहा कि जब्त किए गए वाहन को Cr.P.C के धाराओं 451 और 457 के तहत अस्थायी रूप से रिहा किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब्त किए गए वाहनों को ट्रायल कोर्ट केवल तब ही जब्त कर सकता है जब मामले की कार्यवाही पूरी हो चुकी हो. इसका मतलब है कि आरोपी के दोषी या बरी होने के बाद ही जब्त किए गए वाहनों की स्थिति का निर्धारण किया जा सकता है. अदालत ने यह भी कहा कि जब्त किए गए वाहन के संबंध में किसी भी अधिकार का दावा करने वाले व्यक्ति को सुनवाई का अवसर प्रदान करना आवश्यक है.