नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश DY Chandrachud ने आहवान किया है कि महिलाओं के प्रति किसी भी तरह के अनुचित व्यवहार, यौन उत्पीड़न, महिलाओं को टारगेट कर अपनाई जाने वाली अनुचित भाषा और यहां तक कि महिलाओं को लेकर कहे जाने वाले अनुचित मजाक के लिए "Zero Tolerance" का व्यवहार होना चाहिए.
CJI DY Chandrachud ने बुधवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट की Gender Sensitisation and Internal Complaints Committee की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे.
8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में होली अवकाश के चलते यह कार्यक्रम बुधवार को आयोजित किया गया. समारोह में Committee की अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट जज Justice Hima Kohli और Justice BV Nagarathna भी मौजूद रही.
कार्यक्रम में keynote address देते हुए CJI DY Chandrachud ने कहा कि देश में कानूनी पेशे में न्यायिक सेवाओं और लेन-देन संबंधी कानून में महिलाओं की संख्या बढ रह है जो कि एक सकारात्मक संदेश है लेकिन हमें इसके साथ साथ अप्रिय पहलू जिन्हें दूर करने की आवश्यकता हैं.
सीजेआई ने कहा कि महिलाओं के प्रति अनुचित व्यवहार, यौन और अन्य महिलाओं को टारगेट कर की जाने वाली घटनाओं को प्रतिबंधित करने की जरूरत है. अपने संबोधन में सीजेआई ने कहा कि एक समय था जब इस कानूनी पेशे में बहुत कम महिलाए थी और महिलाओं की कमी के चलते विषम स्थिती थी, लेकिन वर्तमान में यह पूरी तरह से बदल गया है.
CJI ने न्यायपालिका में बढती महिलाओं की भागीदारी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि देश के कई राज्यों में महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है तो कई राज्यों में यह 60 प्रतिशत तक पहुंच गई है.
उन्होने कहा कि ये भविष्य के लिए बहुत अच्छा है.क्योंकि ये महिलाएं जो आज कार्यक्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं, वे मूल्यों, परंपराओं और वर्तमान और भविष्य की आकांक्षाओं को परिभाषित करने जा रही हैं."