Medical College Professor NOC certificate Transfer: उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज की एक प्रोफेसर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश में पढ़ाने के ट्रांसफर चाहती है. ट्रांसफर के लिए, उन्हें अनापत्ति प्रमाण-पत्र (No Objection Certificate) की जरूरत है. उत्तराखंड सरकार ने प्रोफेसर को NOC देने से मना किया. राज्य ने अपने फैसले में कहा कि अनापत्ति प्रमाण पत्र राज्य के दूसरे मेडिकल कॉलेज में जाने के लिए जारी किया जाता है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा. अब प्रोफेसर ने NOC ने पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया, HC के फैसले को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है. आइये जानते हैं पूरा वाक्या....
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस प्रसन्ना वी वराले की वेकेशन बेंच ने प्रोफेसर की NOC की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. याचिका में उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा 'राज्य सरकार के आदेश को बरकरार' फैसले को चुनौती दी गई है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत सहायक प्रोफेसर (कम्युनिटी मेडिसिन) को एनओसी देने से इनकार करने वाले सरकार के आदेश को बरकरार रखा. याचिकाकर्ता को NOC उत्तर प्रदेश में, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर के लिए चाहिए.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उत्तराखंड सरकार ने यह शर्त रखी है कि एनओसी (NOC) तभी दी जाएगी, जब कोई शिक्षक राज्य के अंदर किसी अन्य सरकारी कॉलेज में नियुक्ति के लिए आवेदन करेगा, जो मनमाना और अवैध है. प्रोफेसर ने तर्क दिया कि सभी मेडिकल कॉलेज एक समरूप वर्ग (Homogenous Class) बनाते हैं, इसलिए, उत्तराखंड राज्य के अंदर सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अन्य मेडिकल कॉलेजों के बीच विवादित सरकारी आदेश द्वारा पैदा करनेवाले कृत्रिम वर्गीकरण (Artificial Classification) वाले आदेश को हटाया जाना चाहिए.
मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ने सुप्रीम कोर्ट में NOC को लेकर याचिका दायर की है. याचिका में उसने मेडिकल कॉलेज के फैसले को चुनौती दी है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उत्तराखंड सरकार ने प्रोफेसर को दूसरे राज्य के मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर के लिए NOC देने से इंकार किया था.
हाईकोर्ट ने कहा,
“यदि विभाग में सदस्यों की संख्या निर्धारित मानक से कम हो जाती है, तो मेडिकल कॉलेज की मान्यता समाप्त हो सकती है, जिसका न केवल मेडिकल छात्रों पर, बल्कि आम लोगों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा, जो गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर निर्भर हैं.”
हाईकोर्ट ने आगे कहा,
इस प्रकार, यदि नियोक्ता (Employer) को अपने कर्मचारी के कहीं और नौकरी करने देने पर कोई आपत्ति है, तो नियोक्ता एनओसी देने से इनकार कर सकता है. यह एक ऐसा अधिकार है, जो हर नियोक्ता को प्राप्त है.
हाईकोर्ट ने ऐसा कहकर प्रोफेसर की याचिका खारिज कर दी. अब प्रोफेसर ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दिया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है. अगली सुनवाई 7 अगस्त, 2024 को होगी.