Advertisement

बीजेपी नेता विजय शाह के खिलाफ दर्ज FIR से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, पुलिस को सुधार करने के दिए निर्देश

आज मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी के संबंध में मानपुर पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी की सामग्री पर असंतोष व्यक्त किया.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

Written by My Lord Team |Published : May 15, 2025 5:22 PM IST

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी के संबंध में मंत्री विजय शाह के खिलाफ उसके आदेश पर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर बृहस्पतिवार को असंतोष व्यक्त किया और कहा कि यह व्यापक होनी चाहिए. जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने पिछले आदेश के अनुपालन को दिखाने के लिए जब इसे उनके समक्ष रखा तो उन्होंने कहा कि वर्तमान स्वरूप में, यदि एफआईआर को चुनौती दी जाती है तो इसे खारिज किया जा सकता है.

SC से आज नहीं मिली राहत

वहीं, आदिवासी मामलों के मंत्री शाह ने अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के हाई कोर्ट के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता को किसी प्रकार का राहत देने से इंकार किया है.

आज सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी के संबंध में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को बृहस्पतिवार को नसीहत देते हुए कहा कि जब देश में ऐसे हालात हैं कि किसी मंत्री के मुख से निकला एक-एक शब्द जिम्मेदारी भरा होना चाहिए.

Also Read

More News

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने शाह से कहा कि आप किस तरह के बयान दे रहे हैं? आप सरकार के एक जिम्मेदार मंत्री हैं.

पीठ में जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि ऐसे संवैधानिक पद पर बैठे लोगों से संयम बरतने की अपेक्षा की जाती है. इस पर शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने याचिका की तत्काल सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया और कहा कि उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है और प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. मखीजा ने कहा कि याचिकाकर्ता, राज्य के आदिवासी मामलों के मंत्री ने खेद व्यक्त किया है.

याचिकाकर्ता ने कहा,

‘‘यह ऐसा बयान था जिसे गलत समझा गया. मैं इसे आपके सामने उचित ठहरा सकती हूं. उनका (शाह का) कभी भी वह मतलब नहीं था जो मीडिया द्वारा निकाला एवं बताया जा रहा है.’’

पीठ ने कहा कि अब प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है. वरिष्ठ वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता प्राथमिकी पर रोक लगाने का अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि हाई कोर्ट ने उनका पक्ष नहीं सुना है. मखीजा ने कहा कि उनके मुवक्किल बस यही अनुरोध कर रहे हैं कि जब तक उनका पक्ष नहीं सुना जाता तब तक कोई कार्रवाई न की जाए. पीठ ने प्रश्न किया कि याचिकाकर्ता ने राहत के लिए उच्च न्यायालय का रुख क्यों नहीं किया. पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई व्यक्ति मंत्री है, क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए. जब मखीजा ने उच्चतम न्यायालय से हाई कोर्ट के आदेश को देखने का आग्रह किया तो पीठ ने कहा कि हम इसे कल देखेंगे.

इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि शाह के खिलाफ आगे कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि मामला आज उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. इस पर पीठ ने कहा कि चौबीस घंटे में कुछ भी होने की संभावना नहीं है. साथ ही पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय को सूचित कर सकते हैं कि मामला शुक्रवार को सुप्रीम में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

HC ने एफआईआर दर्ज करने के दिए आदेश

वहीं, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि पुलिस को एफआईआर में कथित अपराधों का व्यापक विवरण शामिल करना चाहिए और इसे उसके बुधवार के आदेश के अनुरूप होना चाहिए. पीठ ने कहा कि पुलिस को निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए.

बुधवार को हाई कोर्ट ने मंत्री के विवादित बयानों पर स्वत: संज्ञान लिया था. उसी के अनुसार शाह के खिलाफ बुधवार रात इंदौर जिले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कृत्य), 196(1)(बी) (समुदायों के बीच आपसी सद्भाव को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाला कृत्य, जिससे सार्वजनिक अशांति पैदा होने की संभावना हो) और 197(1)(सी) (सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला समुदाय के सदस्य को लक्षित करने वाला बयान) के तहत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे.

कर्नल कुरैशी तब सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी शिविरों पर हमला करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पिछले सप्ताह चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.

(खबर पीटीआई से है)