नई दिल्ली: न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई (Justice Ranjana Prakash Desai) ने विधि आयोग (Law Commission of India) के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ यहां शुक्रवार को हुई बैठक के बाद कहा कि यह (आयोग) समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के मुद्दे पर काम करने पर विचार कर रहा है।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, देसाई उस समिति की प्रमुख हैं जो उत्तराखंड के लिए इस संहिता का मसौदा तैयार कर रही है। देसाई और उत्तराखंड के लिए गठित समिति के सदस्यों ने विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी (Justice Ritu Raj Awasthy), और सदस्य केटी शंकरन, आनंद पालीवाल तथा डी पी वर्मा से मुलाकात की।
उत्तराखंड सदन में हुई बैठक के बाद देसाई ने संवाददाताओं से कहा, "यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी। क्योंकि हम इस पर (समान नागरिक संहिता) काम कर रहे हैं और वे भी शायद इस पर विचार कर रहे हैं।"
देसाई ने यह भी कहा, "वे पूछ रहे थे कि हमने क्या कुछ किया है। इसलिए हमने उन्हें कुछ जानकारी दी।" यह पूछे जाने पर कि उत्तराखंड समान नागरिक संहिता समिति द्वारा तैयार किये जाने वाले मसौदे का राष्ट्रीय स्तर पर अनुकरण किया जा सकता है, उन्होंने कहा, "...यदि अन्य राज्य भी इसका अनुकरण करेंगे तो अच्छा रहेगा।"
भारतीय विधि आयोग ने राजद्रोह (Sedition) के मामलों में कारावास की सजा को कम से कम तीन वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष करने की सिफारिश की है। आयोग ने तर्क दिया है कि इससे अदालतों को किए गए कृत्य के स्तर और गंभीरता के अनुरूप सजा देने की अधिक गुंजाइश रहेगी।
‘राजद्रोह कानून के उपयोग’ पर अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि उसने अपनी पिछली रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह कानून) (IPC Section 124A) के लिए सजा को ‘‘बहुत अजीब’’ करार दिया था क्योंकि इसमें आजीवन कारावास या तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है, लेकिन इसके बीच में कुछ भी नहीं है।
राजद्रोह कानून के तहत न्यूनतम सजा के अंतर्गत जुर्माने का प्रावधान है। आयोग ने कहा, "आईपीसी के अध्याय-6 में अपराधों के लिए दिए गए वाक्यों की तुलना से पता चलता है कि धारा 124ए के लिए निर्धारित दंड में स्पष्ट असमानता है।" आईपीसी का अध्याय-6 राज्य के खिलाफ किए गए अपराधों से निपटने से संबंधित है।
रिपोर्ट में अध्याय-6 में राजद्रोह के अपराध के लिए सजा के प्रावधान में बदलाव की सिफारिश की गई है ताकि अदालतों को किए गए कृत्य के स्तर और गंभीरता के अनुसार सजा देने की अधिक गुंजाइश रहेगी।
आयोग ने धारा 124 ए के वाक्यांश में बदलाव कर इसमें हिंसा भड़काने या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने की "प्रवृत्ति" (Tendency) शब्द जोड़ने को कहा है। विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने हाल में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) को रिपोर्ट सौंपी थी।