सुप्रीम कोर्ट ने आज (29 जनवरी, 2024) कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले की सुनवाई को अप्रैल महीने तक बढ़ा दी है. वहीं शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे के लिए आयुक्त की नियुक्ति पर अंतरिम रोक जारी रहेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर, 2023 को शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे करने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने इसके लिए कमिश्नर नियुक्त करने को कहा था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी, 2024 के दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर अंतरिम रोक लगाई थी.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की बेंच ने कृष्णजन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले को सुना. कोर्ट के सामने मुस्लिम पक्ष और उत्तर प्रदेश सुन्नी केन्द्रीय वक्फ बोर्ड (Uttar Pradesh Sunni Central Waqf Board) द्वारा विशेष अनुमति याचिका की गई, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा टाइटल सूट (Title Suit ) से जुड़े कई मामलों को अपने पास ट्रांसफर करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. इस दौरान मस्जिद कमिटी द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के शाही ईदगाह के सर्वे पर आयुक्त नियुक्ति के फैसले को चुनौती देनेवाले याचिका को भी सुना.
वकील महक महेश्वरी ने शाही ईदगाह मस्जिद की जगह को कृष्णजन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की मांग करते हुए याचिका दायर की, जिसे 5 जनवरी, 2024 के दिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की और कहा कि हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देना चाहते हैं. इस विशेष अनुमति याचिका को खारिज की जाती है.
14 दिसंबर, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण को लेकर अधिवक्ता आयुक्त को नियुक्त करने पर सहमति दी थी. उच्च न्यायालय ने हिंदू पक्ष के मस्जिद की जगह मंदिर होने के दावे पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया था. उस समय न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने कृष्ण विराजमान और सात अन्य द्वारा दायर वाद पर सुनवाई के बाद आयुक्त के नियुक्ति की मंजूरी दी थी.
कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद, अतीत में मुगल बादशाह औरंगजेब के जमाने से जुड़ी है. यह विवाद मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है, जिस पर हिंदू पक्ष ने कृष्ण की जन्मभूमि होने का दावा किया है. हिंदू पक्ष के अनुसार यह मस्जिद कृष्ण मंदिर को तोड़ कर बनाया गया है. और उस जगद से मंदिर से जुड़े कई सबूत भी मिले हैं.