अगर सवाल यह है कि जनसंख्या के लिहाज से देश में पुलिस बल कम है, हर व्यक्ति के साथ पुलिस खड़ी नहीं रह सकती है. लेकिन वही पुलिस जो शिकयत मिलने पर भी घटना को नजरअंदाज करती है, तो शायद ही कानून व्यवस्था की गरिमा बच पाए. इसलिए सेलेक्टिवनेस तरीके से काम करना पुलिस बल की गाइडलाइन में नहीं है, इसलिए राज्य सरकार समय-समय पर दिशानिर्देश जारी कर पुलिस को हर शिकायत पर गंभीरता से संज्ञान लेने को कहती है. ऐसा ही टिप्पणी केरल हाई कोर्ट ने भी की, जब एक मां ने बताया कि उसने पुलिस को सूचित किया था कि उसकी बेटी अगवा हो गई है. अब शिकायत के महीने भर बाद उसे उसकी बेटी की लाश मिली है. मां ने हैबियस कॉर्पस (Habeous Corpus) याचिका दायर की है. बंदी प्रत्यक्षीकरण यानि हैबियस कॉर्पस याचिका, किसी व्यक्ति को अदालत के समक्ष हाजिर करने के लिए दायर की जाती है, जिससे परिजन उस व्यक्ति से मिल सके.
लड़की की मां ने कहा कि उसकी बेटी का अपहरण 11 फरवरी को सुबह 4:45 बजे एक पड़ोसी द्वारा किया गया था, जिसका आपराधिक रिकॉर्ड है. मां और उसके परिवार ने लड़की से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उसका मोबाइल फोन बंद था, जिसके बाद मां ने उसी दिन पुलिस से शिकायत की. हालांकि, पुलिस ने 12 फरवरी को केवल एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की और तुरंत कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. केरल हाई कोर्ट को सोमवार को सूचित किया गया कि लापता लड़की और उसके पड़ोसी, जिसने कथित रूप से उसका अपहरण किया, 9 मार्च की सुबह कासरगोड में एक पेड़ से लटके पाए गए, जो कि उसके घर से महज 500 मीटर की दूरी पर था.
सुनवाई करते हुए, केरल हाई कोर्ट में जस्टिस देवन रामचन्द्रन और जस्टिस एमबी स्नेहलता की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाकी. उन्होंने कहा कि पुलिस की केस डायरी को देखकर ऐसा कुछ प्रतीत नहीं होता है कि पुलिस ने कुछ एक्शन लिया हो.
अदालत ने कहा,
"हम पीड़ित माता-पिता के प्रति सहानुभूति रखते हैं और यह मानते हैं कि इस घटना के कारण हम इस रिट याचिका को बंद नहीं कर सकते. हमें यह सत्यापित करना होगा कि वास्तव में क्या हुआ."
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह अंतिम निर्णय लेने से पहले मामले की गहराई से जांच करना चाहती है. अदालत ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह अगल सुनवाई में अदालत के सामने उपस्थित होकर लापता लड़की के मामले से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करे.
अदालत ने कहा,
"हम निर्देश देते हैं कि मूल अपराध के जांच अधिकारी, जिसे क्राइम नंबर 126/2025 के तहत पंजीकृत किया गया है, कल इस अदालत में उपस्थित हों."
केरल हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की कार्रवाई की समीक्षा करेगी. अदालत ने जांच अधिकारी को अगली सुनवाई( 18 मार्च, मंगलवार) को हाजिर होने को कहा है. इस मामले में पुलिस की लापरवाही और देरी पर सवाल उठाते हुए, अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.