भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता पी. सी. जॉर्ज को शुक्रवार को यहां की एक अदालत ने नफरत भरी टिप्पणी करने के मामले में जमानत दे दी है. एराट्टुपेट्टा की मजिस्ट्रेट अदालत ने जॉर्ज को जमानत दे दी. जॉर्ज ने सोमवार को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था और जिसके बाद उन्हें उसी दिन पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. पूर्व विधायक व भाजपा नेता पीसी जॉर्ज पर आरोप है कि उन्होंने टीवी पर एक समुदाय विशेष को टार्गेट कर भड़काऊ बयान दिया है.
इससे पहले एराट्टुपेट्टा मुंसिफ मजिस्ट्रेट अदालत ने दिन में जॉर्ज की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. पुलिस सूत्रों ने बताया कि जेल भेजे जाने से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने जॉर्ज से पूछताछ की. पूर्व विधायक जॉर्ज ने सोमवार की सुबह करीब 11.05 बजे एराट्टुपेटा मुंसिफ मजिस्ट्रेट अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. अपराह्न 12.30 बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई, जिसके बाद दोनों पक्षों की ओर से दलीलें सुनी गईं. दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित किया.
जॉर्ज के वकील ने दलील दी कि उन्होंने धार्मिक नफरत नहीं दिया और ना ही धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाया है इसलिए हिरासत में लेकर पूछताछ करने या साक्ष्य एकत्र करने की कोई आवश्यकता नहीं है. हालांकि, अभियोजन पक्ष ने जॉर्ज के पिछले मामलों का विवरण पेश करते हुए कहा कि उन्होंने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है और उनसे हिरासत में पूछताछ की जानी चाहिए. अभियोजन पक्ष ने कहा कि जॉर्ज ने इस तरह से टिप्पणी की, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं. शिकायतकर्ता के वकील ने बताया कि जब अपराह्न दो बजे के बाद मामले की सुनवाई हुई, तो अदालत ने जॉर्ज की जमानत याचिका खारिज कर दी. उन्हें मेडिकल जांच के लिए कोट्टायम सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था.
कोट्टायम जिला सत्र अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मामला ‘मुस्लिम यूथ लीग’ के नेता मुहम्मद शिहाब द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है, जिन्होंने आरोप लगाया था कि जॉर्ज ने धार्मिक आधार पर नफरत फैलाने वाली टिप्पणी की थी. जॉर्ज ने शनिवार को नफरती भाषण मामले में जांच के लिए पुलिस के समक्ष उपस्थित होने के लिए 24 फरवरी तक का समय मांगा था.
केरल हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किये जाने के बाद उन्होंने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ऐसे मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा. पूर्व विधायक जॉर्ज पर एक टीवी चैनल पर चर्चा के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नफरत भरी टिप्पणी करने का आरोप लगा है. केरल उच्च न्यायालय द्वारा जॉर्ज की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किये जाने के बाद पुलिस जब उन्हें हिरासत में लेने पहुंची, तो उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया.
(खबर भाषा एजेंसी के आधार पर लिखी गई है)