नई दिल्ली: अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति छिपाने के लिए किसी दूसरे के नाम पर संपत्ति खरीदता है तो उसे बेनामी संपत्ति कहते हैं. आम तौर पर इस तरह की संपत्ति को काला धन माना जाता है. ऐसे संपत्ति को दूसरे के नाम से खरीदा जाता है लेकिन, उसका असली मालिक कोई और रहता है और वही उस संपत्ति का उपयोग करता है.
अगर कोई व्यक्ति किसी रिश्तेदार को या कोई और व्यक्ति को अपने कमाए हुए संपत्ति से उपहार देता है तो वह बेनामी संपत्ति में नहीं आएगा. रिश्तेदार या किसी और व्यक्ति को दिया हुआ उपहार अगर काला धन से लिया गया है तब वह बेनामी संपत्ति में शामिल किया जाएगा.
बेनामी संव्यवहार (प्रतिषेध) अधिनियम, 1988 के 2016 में संशोधन के पहले तक इसकी धारा 3(1) के तहत कोई भी व्यक्ति किसी बेनामी संपत्ति के लेन देन में शामिल नहीं होगा, अगर कोई व्यक्ति बेनामी संपत्ति के लेन देन में शामिल होता है तो उसे इस अधिनियम के धारा 3(2) के तहत तीन साल तक की सजा हो सकती थी या आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता था या दोनों से दंडित किया जा सकता था.
लेकिन, 2016 में इस अधिनियम के संशोधन के बाद सजा को तीन से बढ़कर सात साल तक कर दिया गया है और जुर्माना को बेनामी संपत्ति के 25% कर दिया गया है. इस संशोधन के बाद बेनामी संपत्ति को जब्त भी किया जा सकता है, इस संशोधन के पहले बेनामी संपत्ति जब्त करने का कोई प्रावधान नहीं था.