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Calcutta HC Judges Row: स्वतः संज्ञान लेने के बाद दो जजों के बीच टकराव के मामले में Supreme Court ने दिया ये आदेश

कलकत्ता हाईकोर्ट में सिंगल बेंच जज ने दो सदस्यीय खंडपीठ के फैसले को रद्द कर एमबीबीएस प्रवेश में अनियमितता और जाति प्रमाण-पत्र स्कैम मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए. वहीं, सीबीआई जांच पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है.

Written by My Lord Team |Updated : January 29, 2024 1:37 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज (29 जनवरी, 2024) की माामले की सुनवाई के दौरान दोनों पार्टी को तय समय में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये है. कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों के बीच विवाद बढ़ने पर स्वत: संज्ञान लिया था. दो जजों के बीच यह विवाद एमबीबीएस नामांकन में अनियमितता और जाति प्रमाण-पत्र घोटाले (Caste Certificate Scam) की सुनवाई से जुड़ा है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आगे की सभी कार्यवाही पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों जजों में से एक, जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के सीबीआई जांच (CBI Probe) के आदेश पर भी रोक लगाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

25 जनवरी, 2024 के दिन कलकत्ता हाईकोर्ट के सिंगल बेंच जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने दो सदस्यीय खंडपीठ के फैसले को रद्द कर दिया जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टी वाले दिन (शनिवार) को मामले पर स्वत: संज्ञान लिया. कोर्ट ने सुनवाई के लिए मामले में पांच सदस्यीय बेंच गठित की है.

बंगाल राज्य ने दाखिल की याचिका

सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद पश्चिम बंगाल राज्य ने अपनी याचिका दायर की. राज्य की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वह 25 जनवरी, 2024 के दिन जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ अपनी विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर रहे हैं. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.

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क्या है मामला?

यह मामला गुरूवार (25 जनवरी, 2024) के दिन का है, जब जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने एमबीबीएस नामांकन में अनियमितता और जाति प्रमाण-पत्र घोटाले में दो सदस्यीय खंडपीठ (Two member bench) के आदेश को रद्द करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिया. जस्टिस गंगोपाध्याय के इस फैसले पर दो सदस्यीय खंडपीठ की अध्यक्षता करने वाले जस्टिस सौमेन सेन ने आपत्ति जताई. वहीं, जस्टिस गंगोपाध्याय ने जस्टिस सौमेन सेन पर राज्य की सत्तारूढ़ दल से पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया.

न्यायिक अनुशासन से जुड़ा है विषय

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अनुशासन को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर संज्ञान लिया जहां एक छोटी पीठ ने बड़ी पीठ के फैसले को अवैध करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय बेंच का गठन किया है जिसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरूद्ध बोस शामिल है.