नई दिल्ली:
जयपुर में वर्ष 2008 में हुए सीलसीलेवार बम विस्फोट मामले के 4 दोषियों को बरी करने के Rajasthan High Court के फैसले को Supreme Court में चुनौती दी जा रही है.
राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों के चलते जहां इस मामले पर राजस्थान में कांग्रेस भाजपा आमने सामने है वही अब यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गई है. भाजपा राजस्थान सरकार पर इस मसले पर कमजोर पैरवी का आरोप लगा रही है.
Rajasthan High Court के फैसले के खिलाफ जहां राजस्थान सरकार अपील दायर करने जा रही है वहीं इस मामले में भाजपा भी दो गवाहों के जरिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की तैयारी कर रही है.
राजस्थान सरकार ने Supreme Court में अपील के लिए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी की टीम को यह जिम्मेदारी सौपे जाने की खबर है.
दूसरी तरफ राजस्थान भाजपा के राजेन्द्र राठौड़, अरूण चतुर्वेदी के इस मामले को लेकर भाजपा से जुड़े और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट से संपर्क करने की जानकारी सामने आयी है.
राजस्थान भाजपा बम ब्लास्ट पीड़ितों के साथ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने जा रही है. राजेंद्र राठौड़ की ओर से एसएलपी दायर करके हाईकोर्ट की ओर से जयपुर ब्लास्ट के आरोपियों को बरी किए जाने के आदेश को चुनौती दी जाएगी.
गौरतलब है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 मई 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट 9 बम रखे थे, इसमें 8 ब्लास्ट हुए थे, जबकि एक बम को समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था.इस सीरियल ब्लास्ट में 71 लोग मारे गए थे, जबकि 185 घायल हुए थे.
राजस्थान पुलिस ने इस मामले में कुल 8 मुकदमे दर्ज किए थे. जयपुर के कोतवाली पुलिस थाने में 4 और माणकचौक थाने में 4 मामले दर्ज करते हुए कुल 13 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया था. लंबी कानूनी प्रक्रिया में अभियोजन की ओर से 1293 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए थे.
जयपुर की विशेष अदालत ने इस मामले में 20 मई 2019 को फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों सैफुर्रहमान अंसारी, मो. सैफ उर्फ कैरीऑन, मो. सरवर आजमी और मो. सलमान को फांसी की सजा सुनाई थी.
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने राजस्थान हाई कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा भेजे गये डैथ रेफरेंस को खारिज करते हुए दोषियों को बरी कर दिया था.
ट्रायल की ओर से मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में भेजे गए डैथ रेफरेंस सहित दोषियों की ओर से पेश 28 अपीलों पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने चारों को बरी कर दिया था और दोषी सलमान का मामला किशोर बोर्ड भेजने के आदेश दिए थे.
पीठ ने फैसला सुनाते हुए का कि इस मामले के जांच अधिकारी को लीगल जानकारी नहीं है. अदातल ने जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी कहा है.