नई दिल्ली: जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 4 दोषियो को बरी करने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही बरी हुए चारो दोषियों की दूसरे किसी केस में जरूरत नही होने पर सशर्त जेल से रिहा करने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितो के परिजनों के साथ राजस्थान सरकार की ओर से दायर अपील और दो दोषियों की कैवियट पर सुनवाई करते हुए बुधवार को ये आदेश दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार सभी पक्षो को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त 2023 को तय करते हुए उस दिन की सूची में पहले केस के रूप में सूचीबद्ध करने के आदेश दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी आदेश दिया है कि यदि उस दिन मामले की सुनवाई नहीं होती है, तो राजस्थान सरकार आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 390 की बिंदु पर बहस करने के लिए स्वतंत्र होगी.
पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा बरी किए चारो दोषियों की कस्टडी और अपील के दौरान कस्टडी के मामले पर सुनवाई भी 9 अगस्त को तय की है. पीठ ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का भी निर्देश देते हुए इसे 3 जजो की पीठ को रेफर कर दिया है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के संपूर्ण रिकॉर्ड को भी मांगा है, इसके लिए अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि यह कोर्ट को 8 सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड उपलब्ध कराए.
राजस्थान सरकार की ओर से दायर अपील को भी सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए दोषियों को नोटिस जारी किया है. अपील में कहा गया है कि राजस्थान हाईकोर्ट के इस विवादित फैसले के परिणामस्वरूप न्याय का एक पूर्ण उपहास हुआ है.
सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक भीषण अपराध में शामिल आतंकवादियों को बरी करके कानून के अच्छी तरह से स्थापित सिद्धांतों की अनदेखी करते हुए और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों की गलत सराहना करते हुए न्याय का उपहास किया है.
राजस्थान सरकार ने अपील में प्रतिवादी मोहम्मद सैफ को लेकर दलील पेश करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने सैफ केा 19 अगस्त 2008 को बाटला हाउस में मुठभेड़ के बाद गिरफतार किया था.
इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस ने दो आतंकियो को मार गिराया था और इस घटना में एक पुलिस अधिकारी भी शहीद हुआ था.
सरकार ने कहा कि दिल्ली पुलिस की जांच के दौरान सैफ ने कई बड़े खुलासे थे, इन खुलासों के दम पर जयपुर बम ब्लास्ट के अपराध से संबंध स्थापित हुए थे. राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने गुहार लगाई है.
अपील पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चारो बरी हुए दोषियों को नोटिस जारी किया, चूकि इस मामले में दो बरी हुए दोषियों की कैवियट होने के चलते दो दोषियों को नोटिस देने की जिम्मेदारी सरकार को दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने बरी हुए दोषियों को रिहा करने की स्थिती में उनके पासपोर्ट अदालत में जमा कराने के आदेश दिए है. साथ ही चारो बरी हुए दोषियों को प्रतिदिन एटीएस के समक्ष सुबह 10—12 बजे तक उपस्थिती देने के आदेश दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को वे दूसरे किसी मामले में जमानत के लिए पेश नही कर सकेंगे.
जयपुर बम ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार करने के बाद भी बरी हुए दोषी फिलहाल जेल से रिहा नही हो पायेंगे.
बरी किए दोषी जयपुर बम ब्लास्ट के दिन घटना में जिंदा मिले बम केस में फिलहाल जेल में है. ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट से बरी किए जाने के बावजूद और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक नही लगाए जाने के बाद भी जेल से रिहा नही हो पायेंगे.
जिंदा बम मिलने के मामले में एक आरोपी शाहबाज हुसैन जमानत पर जेल से बाहर है और उसे निचली अदालत द्वारा बम ब्लास्ट मामले भी बरी कर दिया गया था.
जयपुर बम ब्लास्ट केस के आरोपी दूसरे मामले में फिलहाल जेल में है, अगर वे दूसरे केस में जेल में नही होते तो आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेल से बाहर होते.
सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर बम ब्लास्ट केस को अब 3 सदस्य जजों की पीठ को रेफर कर दिया है. बुधवार को जस्टिस अभय एस ओका—जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने इस मामले को सीजेआई को भेजते हुए तीन सदस्यों की बड़ी पीठ को रेफर करने का आदेश दिया है.
पीठ ने कहा कि चुकि यह मामला डेथ रेफरेंस की अपीलो से जुड़ा हुआ है इसलिए इस मामले की सुनवाई सीजेआई की पीठ द्वारा कि जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ इस मामले से जुड़े संपूर्ण रिकॉर्ड को 8 सप्ताह में पेश करने के आदेश दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ राजस्थान सरकार की इस दलील को स्वीकार कर लिया है कि इस मामले में जांच कर रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए लिखा जाना उन्हे हतोत्साहित करेंगा.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के उस पार्ट पर रोक लगा दी है जिसके जरिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जाचं के लिए लिखा गया था.
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने 29 मार्च को सुनाए फैसले में दोषियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा भेजे गये डैथ रेफरेंस को खारिज करते हुए मौत की सजा पाए चारों दोषियों को बरी कर दिया था.
ट्रायल की ओर से मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में भेजे गए डैथ रेफरेंस सहित दोषियों की ओर से पेश 28 अपीलों पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने चारों को बरी कर दिया था और दोषी सलमान का मामला किशोर बोर्ड भेजने के आदेश दिए थे.
पीठ ने फैसला सुनाते हुए का कि इस मामले के जांच अधिकारी को लीगल जानकारी नहीं है. अदातल ने जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी कहा है.
गौरतलब है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 मई 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट 9 बम रखे थे, इसमें 8 ब्लास्ट हुए थे, जबकि एक बम को समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था.इस सीरियल ब्लास्ट में 71 लोग मारे गए थे, जबकि 185 घायल हुए थे.
राजस्थान पुलिस ने इस मामले में कुल 8 मुकदमे दर्ज किए थे. जयपुर के कोतवाली पुलिस थाने में 4 और माणकचौक थाने में 4 मामले दर्ज करते हुए कुल 13 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया था. लंबी कानूनी प्रक्रिया में अभियोजन की ओर से 1293 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए थे.
जयपुर की विशेष अदालत ने इस मामले में 20 मई 2019 को फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों सैफुर्रहमान अंसारी, मो. सैफ उर्फ कैरीऑन, मो. सरवर आजमी और मो. सलमान को फांसी की सजा सुनाई थी.
राजस्थान सरकार की ओर से मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि और अतिरिक्त महाधिवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने पैरवी की.
सुनवाई के दौरान बम ब्लास्ट के पीड़ितों के परिजन और याचिकाकर्ता राजेश्वरी देवी और अभिनव तिवारी का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह, शिवमंगल शर्मा, हेमंत नाहटा और आदित्य जैन ने किया.
अभियुक्त सरवर आजमी की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल पेश हुए. आरोपी मो. सलमान की ओर से सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने पैरवी की.
इस मामले में अन्य आरोपी सैफ और सैफुर्रहमान को फिलहाल सरकार की अपील पर नोटिस जारी किए गए है.