Delhi Water Crisis: आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली सरकार दिल्ली जल संकट (Delhi Water Crisis) मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई. वस्तुस्थिति की बताकर साथी राज्यों से पानी की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की तो हिमाचल प्रदेश 137 क्यूसेक पानी देने को राजी हुआ. दिल्ली को तो पानी मिलने लगा, लेकिन राज्य के कई क्षेत्रों में पानी की समस्या जस की तस बनी रही.सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार (Supreme Court Asked Delhi Government) से कारण पूछा, तो उनकी ओर पास से जवाब आया. वाटर टैंकर माफिया (Water Tanker Mafiyas) यमुना नदी के हरियाणा वाले क्षोड़ की ओर से ऑपरेट होते हैं. टैंकर से पानी छिलकने पर रोक लगाने को जल बोर्ड तत्पर है.
दिल्ली सरकार की तत्परता और विवश्ता से भरे जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया. आगे बढ़ने से पहले बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना वी वराले की वेकेशन बेंच दिल्ली जल संकट मामले की सुनवाई कर रही है, मीडिया रिपोर्टिंग के माध्यम से हालात पर नजर बनाए हुए है. सुप्रीम कोर्ट ने वाटर शेयरिंग के लिए दिल्ली सरकार को अपर यमुना रिवर बोर्ड के पास जाने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने स्पष्ट कहा कि वे जल शेयरिंग मामले में कुशलता (Water Sharing Expertise) नहीं रखते हैं. वाटर शेयरिंग को लेकर आगे अपर यमुना रिवर बोर्ड ही उपाय सुझा सकते हैं. वहीं अदालत ने यमुना रिवर बोर्ड को जल शेयरिंग को लेकर मीटिंग बुलाने के निर्देश दिए हैं.
हिमाचल प्रदेश ने भी 'एक्सट्रा पानी देने' का वायदा वापस लिया
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अपर यमुना रिवर बोर्ड की अगुवाई में दिल्ली सरकार सहित अन्य शेयरहोल्डर्स (हितधारकों) के साथ मीटिंग बुलाने के निर्देश दिए थे. 5 जून को मीटिंग हुई, हिमाचल प्रदेश ने 137 क्यूसेक पानी देने का वायदा किया. 6 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद हिमाचल प्रदेश के स्वेच्छा से पानी देने के विचार को रजामंदी दे दी.
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक पानी देने के निर्देश दिए हैं. हरियाणा को हथिनीकुंड बैराज से दिल्ली पहुंचने में सहायता करने के निर्देश दिए हैं.
अब हिमाचल प्रदेश ने क्या कहा?
हिमाचल प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया. राज्य के पास अब एक्सट्रा पानी देने में समर्थ नहीं है. राज्य ने बताया कि हमारे पास 137 क्यूसेक पानी था, जो हमने डिलीवर किया है. अब हम पानी मुहैया कराने में असमर्थ हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को अदालत की अवमानना की चेतावनी दी. अगर राज्य के पास एक्सट्रा पानी है और किसी अन्य वजह से वे बच रहे हैं, तो राज्य के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा भी चलाया जा सकता है.