आज यानि कि सोमवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में जय श्रीराम के नारे लगाने को अपराध बताने की याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता (अपीलकर्ता) से पूछा कि मस्जिद में जय श्री राम के नारे लगाना अपराध कैसे हैं? हालांकि, शीर्ष अदालत ने दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करने से इंकार किया है. बता दें कि मस्जिद में जय श्री राम के नारे लगाने से जु़ड़ी याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
सुप्रीम कोर्ट में पंकज मिथल और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने इस मामले को सुना. अदालत ने पूछा कि मस्जिद में 'जय श्री राम का' नारा लगाना अपराध कैसे हुआ? इस पर जस्टिस संदीप मेहता ने सवाल किया कि अगर वो कोई खास नारा लगा रहे थे, तो ये अपराध कैसे हो सकता है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने जवाब दिया कि किसी दूसरे के धार्मिक स्थान में घुसकर धार्मिक नारा लगाने पर सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का मामला बनता है.
बेंच ने पूछा,
"क्या आरोपियों की पहचान हो गई है? क्या सिर्फ मस्जिद के पास उनकी मौजूदगी से साबित हो जाता है कि उन्होंने नारे लगाए. क्या आप असल आरोपियों की शिनाख्त कर पाए है."
इस पर वकील कामत ने जवाब दिया कि CCTV फुटेज मिले है. पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी की है. कामत ने साफ किया कि वो इस मामले में मस्जिद के केअर टेअर की ओर से पेश हो रहे है. जांच करना, सबूत जुटाना पुलिस का काम है. FIR में भी सिर्फ अपराध की शुरूआती जानकारी होती है, सबूतों की पूरी जानकारी नहीं. इस केस में तो जांच पूरी होने से पहले ही हाई कोर्ट ने केस रद्द कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा कि पुलिस की ओर से FIR दर्ज होने के 20 दिन बाद ही FIR रद्द कर दी गई. उस वक़्त जांच जारी ही थी.
बहरहाल अभी SC ने नोटिस जारी करने से इंकार किया है. कोर्ट ने याचिका की कॉपी राज्य सरकार को देने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी.