Krishna Janmabhoomi Dispute: कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष ने कैविएट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से मांग कि है कि अगर मुस्लिम इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले खिलाफ अपनी मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय आते हैं तो वे हमारा (हिंदू ) पक्ष सुने बिना कोई फैसला नहीं पारित करें. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को दिए फैसले में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की ओर से दायर मुकदमों को सुनवाई लायक माना था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ईदगाह कमेटी के वकील महमूद प्राचा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे. मुस्लिम पक्ष ने 18 याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष ने कहा ये वर्सिप एक्ट का उल्लंघन है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि देवताओं के वाद को सुनवाई योग्य माना जाता है. हिंदू उपासकों, देवता संबंधित वाद पर पूजा स्थल अधिनियम पर रोक नहीं है. ऐसे में इस मामले को नहीं सुनना अनुचित होगा.
मुस्लिम पक्ष के आगे की मंशा जानते हुए हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर मुस्लिम पक्ष की याचिका पर किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले अपना पक्ष रखने की मांग की है.
हिंदू पक्ष के पक्षकारों में मौजूद एडवोकेट आशुतोष पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. हिंदू पक्ष के वकील ने हमने कैविएट के जरिए मांग किया है कि अगर मुस्लिम पक्ष कृष्ण जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई याचिका लेकर आती है, तो सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर किसी तरह का आदेश देने से पहले हमें अपना पक्ष रखने का मौका अवश्य दें.
मामले में हिंदू पक्ष की ओर से 18 याचिकाएं भगवान श्री कृष्ण विराजमान और 7 अन्य लोगों ने वकील हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन की और से दायर की गई हैं.
ये विवाद मथुरा जिले में 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है जिसमें करीब 11 एकड़ पर कृष्ण जन्मस्थान का मंदिर बना है. बचे 2.37 एकड़ की जमीन पर ईदगाह मस्जिद है.
याचिका में ईदगाह मस्जिद को हटाकर जमीन हिंदू पक्ष को देने की मांग की गई है. साथ ही इन याचिकाओं में 1968 में हुए जमीन समझौते को भी रद्द करने की मांग की गई है.