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एक प्रश्न के मूल्यांकन में हुई चूक के चलते ओडिसा PSC पर हाई कोर्ट ने लगाया एक लाख का जुर्माना

हाई कोर्ट ने छात्रा को परेशानी के लिए ओडिसा लोक सेवा आयोग (OPSC) को एक लाख रूपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में छात्रा के आंसर कॉपी की जांच में एक प्रश्न छूट गया था, जिसे रीचेक करवाने के लिए छात्रा ने हाई कोर्ट ने याचिका में दायर की. आइये जानते हैं कि नया मार्क्स आने पर छात्रा के चयन को क्या और हाई कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया.

हाई कोर्ट ने ओडिसा लोक सेवा आयोग पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया है.

Written by Satyam Kumar |Published : February 6, 2025 11:08 AM IST

हाल ही में उड़ीसा उच्च न्यायालय (Odisha High Court) ने राज्य लोक सेवा आयोग को न्यायिक सेवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में चूक के लिए एक परीक्षार्थी को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ज्योतिर्मयी दत्ता ने सितंबर 2023 में ओडिशा न्यायिक सेवा (Odisha Judicial Service) परीक्षा दी थी, लेकिन पांच अंकों के अंतर से वह अगले चरण के लिए अर्हता प्राप्त नहीं कर सकी. अगले चरण में दस्तावेज सत्यापन और इंटरव्यू होना था. दत्ता को बाद में पता चला कि मूल्यांकन के दौरान उनके संपत्ति कानून प्रश्नपत्र के एक प्रश्न के उत्तर को जांचा नहीं गया, जबकि अन्य प्रश्नों के उत्तर पर दिये गए अंक भी अपेक्षा से कम थे. इसके बाद दत्ता ने संपत्ति कानून प्रश्नपत्र की अपनी उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

ऑंसर कॉपी चेक में हुई चूक

छात्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ओडिशा के तीन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों को दत्ता की उत्तर पुस्तिका का स्वतंत्र मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया. फिर से मूल्यांकन में एक उत्तर को नहीं जांचे जाने की पुष्टि हुई और उसके लिए अंक दिए गये. हालांकि, इसके बाद भी कुल अंक अगले चरण के लिए भी के लिए अपर्याप्त थे. फिर भी हाई कोर्ट ने छात्रा की परेशानी को ध्यान में रखते हुए उसे राहत देने का निर्णय लिया.

ओडिसा पीएससी पर लगाया एक लाख का जुर्माना

जस्टिस संगम कुमार साहू और जस्टिस चित्तरंजन दास की खंडपीठ ने मूल्यांकन के दौरान हुई त्रुटि के कारण उत्पन्न परेशानी पर गौर किया. पीठ ने कहा कि इस मामले को आगे बढ़ाने में याचिकाकर्ता द्वारा झेले गए मानसिक आघात और वित्तीय बोझ को देखते हुए हम मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये देने को उचित समझते हैं. पीठ ने कहा कि यह राशि सोमवार को सुनाए गए फैसले के 60 दिनों के भीतर ओडिशा लोक सेवा आयोग के द्वारा दिया जाना चाहिए.