हत्या के मामले में केंद्रीय कारागार बरेली में आजीवन कारावास की सजा काट रहा माफिया ओम प्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव सलाखों के बाहर नहीं आ सकेगा. बबलू श्रीवास्तव की समयपूर्व रिहाई की याचिका राज्यपाल ने खारिज कर दी है. इससे पहले भी बबलू श्रीवास्तव की समयपूर्व रिहाई के लिए दी गई याचिका नवंबर, 2024 में खारिज कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी माह में याचिका पर छह सप्ताह में दोबारा विचार किए जाने का निर्देश दिया था. लखनऊ के हसनगंज निवासी बबलू श्रीवास्तव को 24 मार्च, 1993 को प्रयागराज में अपर कस्टम कलेक्टर एलडी अरोड़ा की हत्या के मामले में 30 सितंबर, 2008 को आजीवन कारावास की सजा हुई थी.
इससे पहले बबलू श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर समय पूर्व रिहाई को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश में कोई कमी नहीं दिखाई पड़ता है. कोर्ट ने कहा कि इससे पहले बबलू श्रीवास्तव ने प्रोबेशन एक्ट 1938 के तहत रिहाई की मांग की थी, जिसके नियम BNSS और CrPC की तुलना में अधिक कठोर हैं। राज्य सरकार को ऐसा निर्णय लेने से पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि आरोपी भविष्य में कोई अपराध नहीं करेगा.
इससे पहले, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव की रिहाई की मांग को अस्वीकार कर दिया था और कहा था कि लखनऊ के डीएम और डीसीपी ने भी उनकी रिहाई की सिफारिश नहीं की थी. बबलू श्रीवास्तव ने यूपी प्रिजनर्स रिलीज ऑन प्रोबेशन एक्ट के तहत रिहाई की याचिका दायर की थी. इस अधिनियम के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति उम्रकैद की सजा काटते हुए 14 वर्ष जेल में बिता चुका है, तो वह रिहाई के लिए आवेदन करने का हकदार होता है.
कस्टम कलेक्टर की हत्या के मामले में माफिया बबलू श्रीवास्तव उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। बबलू श्रीवास्तव को 24 मार्च 1993 को कस्टम कलेक्टर एलडी अरोड़ा की उनके निवास के पास हत्या करने का दोषी पाया गया था। 2008 में टाडा कोर्ट ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई, जिसे 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार, बबलू श्रीवास्तव ने 10 फरवरी 2022 तक 26 साल 9 महीने और 20 दिन की अनिवार्य सजा और 31 साल 3 महीने और 3 दिन की वैकल्पिक सजा पूरी कर ली है।