नई दिल्ली: किसी भी सेना के सैनिक को अपने कर्तव्यों को पूरा करने से रोकना या अपनी ड्यूटी को छोड़ देने के लिए बहकाना या भारत सरकार ने जिस भी सैनिक को भगोड़ा घोषित कर दिया है उसे अपने यहां पनाह देना ये सभी अपराध की श्रेणी में आते हैं. ऐसा करने वाले को सजा दी जाती है. भारतीय दंड संहिता ( Indian Penal Code) 1860 की धारा 135, 136 और 137 में इन्ही अपराधों के बारे में जानकारी दी गई है.
आईपीसी की धारा 135 (Section 135) में सेना से संबंधित अपराध के बारे में ही बताया गया है. इसके अनुसार 'सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अभित्यजन (desertion) का दुष्प्रेरण' यानि देश के सैनिक को काम छोड़कर भाग जाने के लिए बहकाना एक अपराध (offence) माना गया है, इसके लिए दंड का भी प्रावधान है. इसके अनुसार, जो कोई भी भारत सरकार की सेना (Army), नौसेना (Navy) या वायु सेना (Air Force) में किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को परित्याग के लिए उकसाता है, यानि अपनी नौकरी छोड़कर भाग जाने के लिए उकसाता है तो वह अपराधी (offender) माना जाएगा.
इन मामलों में पकड़े जाने पर ऐसा करने वाले को कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि दो साल तक की हो सकती है या उस पर आर्थिक जुर्माना (Monetary penalty) भी लगाया जाएगा या फिर ऐसे दोषी को दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. हालांकि यह एक जमानतीय (Bailable) और संज्ञेय अपराध (Cognizable offense) है, लेकिन यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है. ऐसा मामला किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा विचारणीय है.
इस धारा के अनुसार 'अभित्याजक (Deserter) को संश्रय देना' यानि वो सैनिक जिसे भारत सरकार ने भगोड़ा घोषित कर दिया है फिर भी उस भगोड़े को कोई आश्रय देता है ये जानते हुए कि उसे भगोड़ा घोषित किया गया तो ऐसे में आश्रय देने वाला सजा का पात्र होगा.
धारा 135 में आपने जाना कि वो लोग जो भारत के तीनों सेना में से किसी भी सेना को अपना काम छोड़ने के लिए या अपने कर्तव्यों से पीछे हटने के लिए बहकाता है, उकसाता है हो तो कानून के नजर में वो गुनहगार है. वहीं धारा 136 के अंतर्गत ये बताया गया है कि जिस भी सैनिक को चाहे वो सेना (Army), नौसेना (Navy) या वायु सेना (Air Force) से हो उसे भारत सरकार ने भगोड़ा घोषित कर दिया है. फिर कोई व्यक्ति ये सब जानते हुए अपने यहां पनाह देता है. तो कानूनी रूप से उसे गुनहगार मान कर सजा दी जाएगी.
अपवाद : इस धारा में ये भी बताया गया है कि अगर भारत सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए सेना के किसी व्यक्ति को उसकी पत्नी आश्रय देती है तो वो अपराधी नहीं मानी जाएगी. पत्नी पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
इस तरह के अपराध के लिए आश्रय देने वाले को कारावास की सजा से दंडित किया जाता है. जिसकी अवधि दो साल तक की होती है या जुर्माना भी लगाया जा सकता है या दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.
'मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छिपा हुआ अभित्याजक' (Deserter): भारतीय सेना के किसी भी वाणिज्यिक जलयान (Merchant Vessel) पर कोई सेना (Army), नौसेना (Navy) या वायु सेना (Air Force) का कोई भगोड़ा छुपा हुआ है तो ऐसे में उस शिप का जो हेड होगा उसे इसके बारे में पता हो या ना हो, या फिर पता हो सकता था लेकिन ड्यूटी में लापरवाही के कारण उसे पता नहीं चला इन सभी सुरतो में दंडनीय होगा.
ऐसे में शिप के मास्टर पर 500 का चार्ज लगाया जाएगा. इससे ज्यादा नहीं लगाया जाएगा. यह एक असंज्ञेय अपराध है. इसमें जमानत मिल जाती है. ऐसा मामला किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा विचारणीय है. इस तरह के मामले गैर समझौता योग्य होते हैं.