Voter Turnout Data: चुनाव आयोग ने वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा (Affidavit) के माध्यम से अपने पक्ष को रखा है. चुनाव आयोग ने बताया है कि वोटर टर्नआउट डेटा को जारी करने के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, साथ ही हर बूथ को लेकर डेटा जारी करना मतदाताओं में भ्रम पैदा कर सकता है. बता दें कि वोटर टर्नआउट डेटा का सिंपल अर्थ है कि एक बूथ पर कितने वोट पड़े या कितने लोगों ने मतदान दिया है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) का पांचवा चरण समाप्त हो चुका है और चुनाव आयोग ने अभी तक इस जानकारी को पब्लिक के लिए जारी नहीं किया है. एनजीओ एडीआर (ADR) ने इस वोटर टर्नआउट डेटा को जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने में चुनाव आयोग को क्या परेशानी है? चुनाव आयोग ने हलफनामा के माध्यम से अपनी बात को रखा है. आयोग ने कहा कि फॉर्म 17 के सहारे से बूथ वाइस पड़े मतदानों का डेटा उपलब्ध कराने से वोटर्स में उलझने बढ़ेंगी. इस जानकारी में पोस्टल बैलैट से पड़े मत को भी शामिल किया जाएगा, जो जारी चुनाव में मतदाताओं के बीच कंफ्यूजन को और बढ़ाएगा.
"किसी भी चुनावी प्रतिस्पर्धा में जीत का अंतर बेहद कम होता है. ऐसे में फॉर्म 17 के डेटा को पब्लिक डोमेन में रखने पर वोटर्स के मन में कंफ्यूजन पैदा होगा."
"फॉर्म 17 सी में बूथ पर पड़े पूरे मतदान की जानकारी होगी, जिसमें ना केवल मतदान केन्द्र पर बल्कि पोस्टल बैलेट से पड़े वोटों की संख्या भी शामिल होगी."