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कानूनी बाध्यता नहीं है, लेकिन हर बूथ का वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने से भ्रम फैलेगा, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

चुनाव आयोग ने वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा (Affidavit) के माध्यम से अपने पक्ष को रखा है.

चुनाव आयोग ने वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा (Affidavit) के माध्यम से अपने पक्ष को रखा है

Written by Satyam Kumar |Published : May 23, 2024 10:56 AM IST

Voter Turnout Data: चुनाव आयोग ने वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा (Affidavit) के माध्यम से अपने पक्ष को रखा है. चुनाव आयोग ने बताया है कि वोटर टर्नआउट डेटा को जारी करने के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, साथ ही हर बूथ को लेकर डेटा जारी करना मतदाताओं में भ्रम पैदा कर सकता है. बता दें कि वोटर टर्नआउट डेटा का सिंपल अर्थ है कि एक बूथ पर कितने वोट पड़े या कितने लोगों ने मतदान दिया है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) का पांचवा चरण समाप्त हो चुका है और चुनाव आयोग ने अभी तक इस जानकारी को पब्लिक के लिए जारी नहीं किया है. एनजीओ एडीआर (ADR) ने इस वोटर टर्नआउट डेटा को जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

फॉर्म 17सी को लेकर EC का हलफनामा

पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने में चुनाव आयोग को क्या परेशानी है? चुनाव आयोग ने हलफनामा के माध्यम से अपनी बात को रखा है. आयोग ने कहा कि फॉर्म 17 के सहारे से बूथ वाइस पड़े मतदानों का डेटा उपलब्ध कराने से वोटर्स में उलझने बढ़ेंगी. इस जानकारी में पोस्टल बैलैट से पड़े मत को भी शामिल किया जाएगा, जो जारी चुनाव में मतदाताओं के बीच कंफ्यूजन को और बढ़ाएगा.

आयोग ने कहा, 
"किसी भी चुनावी प्रतिस्पर्धा में जीत का अंतर बेहद कम होता है. ऐसे में फॉर्म 17 के डेटा को पब्लिक डोमेन में रखने पर वोटर्स के मन में कंफ्यूजन पैदा होगा."
आयोग ने कहा, 
"फॉर्म 17 सी में बूथ पर पड़े पूरे मतदान की जानकारी होगी, जिसमें ना केवल मतदान केन्द्र पर बल्कि पोस्टल बैलेट से पड़े वोटों की संख्या भी शामिल होगी."
आयोग ने चिंता जताई कि इस अंतर से वोटर्स के बीच वेबजह का कंफ्यूजन होगा, जबकि चुनावी प्रक्रिया अभी जारी है.

चुनाव आयोग ने ADR पर लगाए आरोप

आयोग ने एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स  (ADR) के लगातार याचिका से चिंता जताई है. आयोग ने कहा कि एनजीओ का किसी मंशे से लगातार आयोग के कार्यों पर सवाल उठाने में लगी हुई है. चाहे मामला इलेक्टोरल बॉन्ड का हो या ईवीएण-वीवीपैट मिलान का हो या अब वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने से जुड़ा मामला हो, ये संस्था बिना किसी ठोस सबूत के लगातार हमलावार है.
बता दें कि एनजीओ ADR ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वैधता, ईवीएम-वीवीपैट मिलान या वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने को लेकर याचिका दायर की है.