नई दिल्ली: राजस्थान में 24 दिसंबर को होने वाली सेकेंड ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के चलते स्थगित करना पड़ा. इस मामले में अब तक दर्जनों आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
पेपर लीक होने के चलते हजारों परीक्षा अभ्यर्थियों को मानसिक के साथ साथ आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. पेपर लीक होने से परीक्षा को भी स्थगित करना पड़ा, जिसके चलते सरकार के एक बड़े राजस्व की भी हानि हुई है.
राजस्थान में परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए 1992 का कानून पहले से बना हुआ है, लेकिन इसमें दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान नहीं था, जिसके चलते राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2022 पारित किया गया.
नए कानून के अनुसार सरकारी भर्ती, बोर्ड सहित 10 तरह की परीक्षाओं को शामिल किया गया. और किसी भी सार्वजनिक परीक्षा को बाधित करने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर इस कानून में कम से कम 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान किया गया.
इसके साथ ही इस अपराध के लिए जुर्माना राशि 10 लाख रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का प्रावधान किया गया.
आईए जानते है क्या है राजस्थान का ये कानून ...
राजस्थान सरकार ने इस वर्ष की शुरुआत में राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम विधेयक, 2022 पारित किया था. मार्च माह में पारित किए गए इस अधिनियम में परीक्षाओ में बेईमानी, पेपर लीक या खरीद फरोख्त, परीक्षा को बाधित करने सहित परीक्षा से जुड़ी गैर कानूनी गतिविधियों पर रोक के प्रावधान किए गए. इसके साथ इस तरह के अपराध में शामिल होने वाले अपराधियों के लिए बेहद सख्त सजा का भी प्रावधान किया गया.
इस अधिनियम की धारा 3 में सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों के किसी भी उपयोग पर रोक लगाने के प्रावधान किए गए है.
— परीक्षा के दौरान लिखित नोट्स या रिकॉर्डिंग की मदद लेना या मदद करना.
— मूल परीक्षार्थी की जगह पर दूसरे अभ्यर्थी द्वारा परीक्षा देना.
— किसी भी परीक्षा का पेपर लीक करना या उसकी कोशिश करना.
— किसी भी परीक्षा के प्रश्न पत्र को अवैध रूप से प्राप्त करना या प्राप्त करने का प्रयास करना.
— किसी भी परीक्षार्थी की अवैध रूप से मदद करना शामिल करने को अनुचित साधन माना गया है.
सजा — इस धारा के अनुसार यदि कोई परीक्षार्थी अनुचित साधनों का उपयोग करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है. इसके साथ ही अदालत उस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माने से दण्डित कर सकती है. जुर्माना नहीं भरने पर 9 माह की अतिरिक्त जेल होगी. अधिनियम के तहत सजा क्या हैं?
इस अधिनियम की धारा 4 में परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र को खोलने और पेपर लीक करने पर रोक है. इसके साथ ही किसी भी परीक्षा के प्रश्न पत्र के संबंध में किसी भी तरह की गोपनीय जानकारी को लीक करना या दूसरे को देना या गोपनीय जानकारी देने का वादा भी करना अपराध माना गया है.
धारा 5
इस अधिनियम की धारा 5 के तहत ऐसे लोगों को प्रतिबंधित किया गया है सार्वजनिक प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने में काम कर रहे हैं, वे पेपर लीक नहीं कर सकते हैं या परीक्षार्थी या किसी अन्य व्यक्ति को परीक्षा आयोजित होने से पहले परीक्षा के संबंध में कोई भी जानकारी नहीं दे सकते हैं. ऐसा करने पर उन्हे इस अधिनियम के तहत पेपर लीक करने का एक अपराधी माना जाएगा.
अधिनियम की धारा 6 के तहत परीक्षा के आयोजन के दौरान उत्तर पुस्तिकाओं या परीक्षा के प्रश्न पत्र को लाने, ले जाने से लेकर किसी तरह की ड्यूटी से जुड़ा होने वाला व्यक्ति इसके संबंध में मौजूद सूचना को वह किसी को भी नहीं बता सकता.
इस अधिनियम की धारा 7 में परीक्षा केन्द्र में अधिकृत व्यक्तियों के अलावा प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपराधी बनाता है. परीक्षा नियंत्रक की अनुमति के बावजूद अगर कोई व्यक्ति उस परीक्षा स्थल पर प्रवेश के लिए आवश्यक योग्यता नहीं रखता है तो भी ऐसे लोगों के खिलाफ अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
अधिनियम की धारा 9 में कहा गया है कि परीक्षा में बाधा पहुंचाने का कार्य या इस अधिनियम के तहत कोई भी अपराध किसी प्रबंधन या संस्था द्वारा किया जाता है, तो प्रबंधन या संस्थान के प्रभारी या जिम्मेदार व्यक्ति को अपराध के लिए उत्तरदायी माना जाएगा और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा.
परीक्षार्थी सहित कोई भी व्यक्ति, जो परीक्षा के संचालन के साथ काम कर रहा है या इसका हिस्सा है, एक साजिश में शामिल है या किसी अनुचित तरीके का उपयोग करता है या इस अधिनियम के तहत किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है या किसी को उल्लंघन करने के लिए मदद करता है तो उसे कम से कम पांच वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है.इसके साथ ही 5 लाख से लेकर 10 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
परीक्षा के दौरान नकल करने, पेपर लीक करने या परीक्षा से जुड़ी किसी भी गैर कानूनी गतिविधि में शामिल रहने वाले परीक्षार्थी को अधिनियम की इस धारा के तहत दो साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा देने से प्रतिबंधित किया जाएगा.
इस अधिनियम के तहत किसी संस्था या व्यक्ति के अपराध में शामिल होने पर संपूर्ण परीक्षा की लागत वसूल की जा सकती है.
इस अधिनियम को और अधिक कठोर बनाने के लिए अधिनियम की धारा 14 में इस अपराध को गैर-संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय बनाया गया है.
सार्वजनिक परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल के मामलों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अथवा वरिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी द्वारा ही की जाएगी.