Who Can Be Proposer: लोकतांत्रिक पद्धति की बड़ी पुरानी परंपरा है, किसी सभा या संविधान सभा की ही बात करें, तो उसे शुरू करने के लिए एक माननीय व्यक्ति को प्रस्ताव रखना होता है. उस प्रस्ताव के बाद से ही सभा की शुरूआत होती है. कुछ ऐसा ही होता है, चुनाव में खड़े होनेवाले उम्मीदवार को अपने नाम को रिटर्निंग ऑफिसर के सामने रखने के लिए प्रस्तावक की जरूरत पड़ती है.
गांव-समाज में ये परंपरा भी रही है कि किसी विद्वान, पंड़ित और विशिष्ट लोगों का परिचय कराया जाता है, उन्हें स्वत: ही ये कार्य नहीं करना पड़ता है. कितना उन्नत विचार है, किसी उम्मीदवार के नाम को आगे करने के लिए प्रस्तावक रखने का. प्रस्तावक ही रिटर्निंग ऑफिसर को बताएगा कि अमुक उम्मीदवार हमारे क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना नामांकन वाराणसी से किया है. पीएम मोदी की नाम की पुष्टि करने के लिए चार प्रस्तावक मौजूद रहें, जिसमें पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर शामिल रहें.
प्रस्तावक, हर कोई बन सकता है. प्रस्तावक बनने के लिए सबसे अहम बात होती है, जिस क्षेत्र के लिए वे किसी उम्मीदवार के लिए प्रस्तावक बनते हैं. उस क्षेत्र के वोटर लिस्ट में उनका नाम होना. उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव वह अंगूठा लगाकर भी दे सकता है. प्रस्तवाक के लिए अन्य किसी तरह की शर्ते नहीं होती है.
नामांकन के दौरान हर प्रत्याशी को कम से कम दो प्रस्तावक पेश करने होते हैं. अगर उम्मीदवार किसी राजनीतिक दल का सदस्य हो तो उसे केवल दो प्रस्तावक जरूरी होते हैं. लेकिन अगर कोई उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है, तो उसे कम-से-कम दस प्रस्तावक रिटर्निंग ऑफिसर के सामने पेश करना पड़ेगा.