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Excise policy scam: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को जमानत

राउज एवेन्यू CBI Court के विशेष जज एमके नागपाल कहा कि दोनों अभियुक्तों में से किसी के भी भारत छोड़कर भागने का जोखिम नही है और ना ही सबूतों को नष्ट करने/छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की कोई उचित संभावना है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : May 8, 2023 11:18 AM IST

नई दिल्ली: कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफतार किए गए राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

राउज एवेन्यू सीबीआई कोर्ट के विशेष जज एमके नागपाल ने जोशी और मल्होत्रा को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि उनके खिलाफ सबूतों को पीएमएलए एक्ट की धारा 45 के तहत आरोपी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नही है.

जमानत का विरोध करते हुए ईडी की ओर से कहा गया कि जोशी AAP के communications in-charge विजय नायर के सहयोगी थे और नायर को 'साउथ लॉबी' से प्राप्त लगभग ₹30 करोड़ की अग्रिम रिश्वत के ट्रांसफर में शामिल थे.

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ईडी ने कहा कि Goa election campaign में AAP द्वारा वहन किए गए खर्च के माध्यम से दलाली की राशि को प्रयोग करने के का जिम्मदार था.

रिश्वत की राशि के ट्रांसफर में शामिल

ED ने गौतम मल्होत्रा की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि गौतम मल्होत्रा​ ने दिल्ली में शराब के कारोबार में भाग विनिर्माण, थोक और खुदरा के तीनो स्तर पर कार्टेल बनाया और मल्होत्रा ने रिश्वत के रूप में लगभग 2.5 करोड़ का भुगतान किया.

ED की दलीलो को सुनने के बाद विशेष जज एम के नागपाल ने कहा कि राजेश जोशी के खिलाफ ऐसे सबूत नही है जिससे कहा जा सके कि वह रिश्वत की राशि के ट्रांसफर में शामिल था.

Goa election campaign में के दौरान फंड को चैनलाइज़ करने के लिए जोशी द्वारा अपनी मीडिया कंपनी का उपयोग करने के आरोप पर, अदालत ने कहा कि इस मामले में एक गवाह पहले ही अपने बयान से मुकर गया है.

गौतम मल्होत्रा के खिलाफ पेश की गयी दलीलों पर अदालत ने कहा कि आबकारी नीति के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कार्टेल का गठन किया हो सकता है, लेकिन यह उनके शराब ब्रांडों की बिक्री को बढ़ाने के लिए एक शुद्ध व्यावसायिक कार्टेल प्रतीत होता है.

दोनो पक्षो की दलीले सुनने के बाद राउज एवेन्यू सीबीआई कोर्ट के विशेष जज एमके नागपाल कहा कि दोनों अभियुक्तों में से किसी के भी भारत छोड़कर भागने का जोखिम नही है और ना ही सबूतों को नष्ट करने/छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की कोई उचित संभावना बनती है.

अदालत ने दोनो को शर्तो के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.