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आबकारी नीति मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अमनदीप ढल्ल और अमित अरोड़ा को दी जमानत 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जुड़े आबकारी नीति मामले में अमनदीप ढल्ल और अमित अरोड़ा को जमानत दे दी है.

दिल्ली हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : September 17, 2024 7:13 PM IST

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली आबकारी नीति मामले में ब्रिंडको सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमनदीप सिंह ढल्ल और व्यवसायी अमित अरोड़ा को जमानत दे दी है.

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ढल्ल और अरोड़ा की नियमित जमानत याचिका को अनुमति दे दी है. गौरतलब है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप नेता संजय सिंह और बीआरएस नेता के कविता समेत ज्यादातर आरोपियों को आबकारी नीति मामले में जमानत मिल चुकी है.

गुरुग्राम स्थित बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अरोड़ा को खराब स्वास्थ्य के कारण दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कई शर्तें लगाते हुए अरोड़ा को अदालत की पूर्व अनुमति के बिना दिल्ली-एनसीआर नहीं छोड़ने को कहा था और उनसे अपना और अपनी पत्नी/जमानतदार का मोबाइल नंबर संबंधित जांच अधिकारी (जांच अधिकारी) को देने को कहा था.  न्यायालय ने कहा कि उन्हें संबंधित जांच अधिकारी को पूर्व सूचना दिए बिना वे अपना मोबाइल नंबर नहीं बदलेंगे और जांच अधिकारी तथा जेल अधीक्षक को दिल्ली में पते के बारे में बताएंगे.

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरोड़ा से यह भी कहा था कि वह जांच अधिकारी को उस अस्पताल के बारे में सूचित करें जहां वह अपनी बीमारी के लिए चिकित्सा प्रक्रिया करवा रहे हैं और अपने द्वारा किए जा रहे उपचार के बारे में साप्ताहिक आधार पर जांच अधिकारी को अपडेट करते रहें. इस साल जून में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में नियमित जमानत के लिए ढल की याचिका खारिज कर दी थी. न्यायालय ने साजिश में ढल की कथित भूमिका और 4.97 करोड़ रुपये के अतिरिक्त क्रेडिट नोट जारी करने में उनकी संलिप्तता को नोट किया था, जिसकी पुष्टि गवाहों के बयानों और अनुमोदक दिनेश अरोड़ा ने की थी. इसने सह-आरोपी विजय नायर के साथ ढल्ल की कथित आपराधिक साजिश की ओर भी इशारा किया था, तथा साउथ ग्रुप के सदस्यों के साथ बैठकों की व्यवस्था करने और उन्हें सुगम बनाने में उनकी भूमिका थी.