नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई को लेकर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने एक अहम निर्णय लिया है. देश की सर्वोच्च अदालत में अब प्रत्येक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए 10—10 टांसफर और जमानत याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाएगा.
हाल ही में सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता में हुई फुल कोर्ट बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया है.फुल कोर्ट बैठक से तात्पर्य सीजेआई की अध्यक्षता में बैठक से है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सभी कार्यरत जज मौजूद रहते है और किसी प्रशासनिक मामले पर चर्चा की जाती है अथवा सहमति ली जाती है.
सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण प्रशासनिक फैसले फुल कोर्ट के जरिए ही किए जाते हैं.किसी भी हाईकोर्ट में ये बैठक वहां के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में होती हैं.
शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए सीजेआई ने अपनी पहली फुल कोर्ट बैठक की जानकारी दी. उन्होने कहा कि कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सप्लीमेंट्री लिस्ट के मामलों को कम करने के लिए प्रत्येक पीठ के समक्ष 10 ट्रांसफर और जमानत के मामलों की सुनवाई की जाएगी.
सीजेआई ने नयी व्यवस्था अपनाए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में 13 पीठ सुनवाई कर रही है और हमने फुल कोर्ट बैठक के बाद निर्णय लिया है कि प्रत्येक पीठ के समक्ष 10 ट्रांसफर याचिकाए और 10 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी.
सीजेआई चन्द्रचूड़ के अनुसार इस तरह देश की सर्वोच्च अदालत में प्रतिदिन 130 ट्रांसफर याचिकाए और 130 ही जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होगी. पांच दिन के कार्य सप्ताह के अनुसार प्रति सप्ताह इस तरह के 650 मामलों का निस्तारण हो जाएगा.
सीजेआई ने कहा अगर हम इस तरह से कार्य करते है तो पांच सप्ताह के अंत में, शीतकालीन अवकाश से पहले सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग सभी ट्रांसफर याचिकाए समाप्त हो जाएगी.
जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को लेकर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जमानत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का भी मामला हैं इसलिए हम जमानत के मामलो को प्राथमिकता देंगे. सीजेआई ने कहा कि इस मामले में उन्होंने निर्देश दिया है कि हर दिन 10 ट्रांसफर याचिकाओं के बाद 10 जमानत याचिकाए सुनी जाएगी. ट्रांसफर और जमानत याचिकाए सुनने के बाद रेगुलर सुनवाई की जाएगी.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसका कारण बताते हुए कहा कि सभी जजों ने उनसे सप्लीमेंट्री लिस्ट नहीं बनाने का अनुरोध किया था. सप्लीमेंट्री लिस्ट के चलते जजो को देर रात 12 बजे तक और फिर सुबह तक केसों को पढ़ रहे होते है.
जब कोई पक्षकार अपने मुकदमें को या उसके खिलाफ दायर मुकदमें की सुनवाई एक जगह से बदलकर दुसरी जगह पर कराना चाहता हो उसके लिए संबंधित न्यायालय में दायर की याचिका को ट्रांसफर पीटीशन या याचिका कहते हैं. कई बार एक व्यक्ति के खिलाफ एक से अधिक न्यायिक क्षेत्राधिकार में दर्ज मामलो की सुनवाई एक ही जगह कराने के लिए भी इस याचिका प्रयोग होता हैं.
सामान्यतया पारिवारिक मामलों में ट्रांसफर याचिकाए सबसे ज्यादा दायर की जाति हैं. जब पारिवारिक मामलो के पक्षकार अलग अलग जगह पर होते है वे अपने मामले की सुनवाई अन्य जगह पर कराना चाहते है तब ट्रांसफर पीटीशन दायर की जाती है.
पारिवारिक मामलों में भी महिला पक्ष द्वारा या पीड़ित पक्ष द्वारा इस तरह की याचिकाए दायर करने पर अदालतें उनके प्रति नरमी का रूख अपनाती हैं.
कई बार पक्षकारों की सुरक्षा के चलते भी अदालत में ट्रांसफर पीटीशन दायर की जाती है.